नई दिल्ली: राम भक्त और भगवान शंकर के 11वें अवतार हनुमान का जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ था. इसलिए चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन यदि किसी भक्त ने भगवान हनुमान को प्रसन्न कर दिया तो दुनिया की ऐसी कोई इच्छा नहीं है, जिसे हनुमान पूरा ना कर पाएं. अंजना पुत्र हनुमान को सिर्फ याद करने से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें भूत प्रेत का भय नहीं डराता. इस बार हनुमान जयंती 31 मार्च को मनाई जाएगी.
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि कब शुरू हो रही है: 30 मार्च को शाम 19:36:38 बजे यानी कि शाम 7 बजकर 36 मिनट और 38 सेकेंड पर पूर्णिमा तिथि लग रही है.
पूर्णिमा तिथि कब समाप्त हो रही है: 31 मार्च को शाम 18:08:29 बजे. यानी 31 मार्च को शाम 6 बजकर 8 मिनट और 29 सेकेंड पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी.
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पूजन विधि
31 मार्च शनिवार को हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान चालीसा व हनुमान जी के श्लोकों का पाठ करें. हनुमानजी को पुष्प व सिंदूर चढ़ाएं. हनुमान जी के सामने घी का दीया जलाएं और हनुमान जी की मूर्ति पर सर्सों तेल चढ़ाएं. सर्सो तेल से उनका स्नान कराएं और हनुमान जी के भजन गाएं.
ऐसे पूजा करने से आज दूर होगी आपकी हर बड़ी परेशानी
हनुमान जयंती के दिन यदि आप बजरंगबली की सच्चे मन से पूजन करें तो वह हर मुराद पूरी करते हैं और अपने भक्त पर कभी कष्ट का साया नहीं पड़ने देते. हनुमान जी की जयंती के दिन यदि उन्हें लाल सिंदूर और चोला अर्पित किया जाए तो काम के बीच आ रही हर बाधा दूर होती है और बिगड़ा काम बन जाता है.
सुबह नहाकर और साफ वस्त्र धारण कर भगवान हनुमानजी के मंदिर में जाएं उन्हें फूल, लाल सिंदूर और मिठाई के साथ चोला चढ़ाएं. उसके साथ ही भगवान को खुश करने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें. पूजा करते वक्त ज्यादा से ज्यादा लाल रंग की चीजों का इस्तेमाल करें.
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भगवान हनुमान को सबसे पहले लाल सिंदूर लगाएं फिर उन्हें चमेली का तेल चढ़ाए उसके साथ ही उन्हें लाल रंग के फूल चढ़ाकर चोला चढ़ाएं. इसके साथ ही मन में भगवान हनुमान जी के इस मंत्र का उपचारण करते रहें.
मंत्र: राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
घर में सुख समृद्धि के लिए हनुमानजी को चढ़ाए हुए फल, फूल और प्रसाद को लोगो में बाटें. साथ ही गरीबों में लाल रंग की चीजें दान करें. घर में धन की वृद्धि के लिए अपने पैसे रखने के स्थान पर हनुमान जी से जुड़ी कोई भी चीज रखें. आज हनुमान चालीसा सुनना आपके कष्टों को दूर करेगा.
शास्त्रों में भी हनुमान चालीसा की महिमा बताई गई है. हनुमान जयंती के मौके पर हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें.
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।।दोहा।।
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार |
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि |
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||
।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||2||
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||4|
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||6|
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||8||
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||10||
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||12||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||14||
जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||16||
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||18|
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||20||
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||22||
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||24||
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||26||
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||28||
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ||30||
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||32||
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||34||
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||36||
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||38||
जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||40||
।।दोहा।।
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||