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ओला इलेक्ट्रिक बनाएगी एडवांस्ड बैटरी सेल, भारी उद्योग मंत्रालय से किया समझौता, बड़े पैमाने पर शुरू होगा लिथियम ऑयन का उत्पादन

मंत्रालय ने इस साल मार्च में घोषणा की थी कि चार कंपनियां - राजेश एक्सपोर्ट्स, हुंडई ग्लोबल मोटर्स कंपनी, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और रिलायंस न्यू एनर्जी - अत्याधुनिक ‘केमिस्ट्री सेल’ बैटरी भंडारण के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं...

Published: July 29, 2022 9:32 AM IST

By Rajneesh

ओला इलेक्ट्रिक बनाएगी एडवांस्ड बैटरी सेल, भारी उद्योग मंत्रालय से किया समझौता, बड़े पैमाने पर शुरू होगा लिथियम ऑयन का उत्पादन
प्रतीकात्मक फोटो

इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कई कंपनियां और स्टार्टअप जहां इलेक्ट्रिक वाहन बना रहे हैं वहीं कई स्टार्टअप और कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े जरूरी पुर्जे बनाने का रिसर्च और प्रयास कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे अहम उनकी बैटरी का बेहतरीन होना है. जितनी अच्छी बैटरी उतनी अच्छी रेंज और पॉवर स्टोरेज कैपेसिटी. अब ओला इलेक्ट्रिक ने सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत स्थानीय स्तर पर अत्याधुनिक बैटरी सेल के विनिर्माण के लिये भारी उद्योग मंत्रालय के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.

ओला इलेक्ट्रिक ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि कंपनी 2023 तक लिथियम ऑयन सेल का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करेगी. मंत्रालय ने इस साल मार्च में घोषणा की थी कि चार कंपनियां – राजेश एक्सपोर्ट्स, हुंडई ग्लोबल मोटर्स कंपनी, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और रिलायंस न्यू एनर्जी – अत्याधुनिक ‘केमिस्ट्री सेल’ बैटरी भंडारण के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं.

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ओला के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) और संस्थापक भाविश अग्रवाल ने कहा, ‘‘अत्याधुनिक केमिस्ट्री सेल पीएलआई योजना इलेक्ट्रिक वाहन मूल्य श्रृंखला के विभिन्न पहलुओं के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.’’

ओला ने इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में सेल अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने के लिये 50 करोड़ डॉलर (लगभग 4,000 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की थी.

आपको बता दें कि अभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाली बैटरी को लेकर काफी रिसर्च और डेवलपमेंट की जरूरत है. कई कंपनियां इस काम को कर भी रही हैं. दरअसल अभी जो लीथियम आयन बैटरी हैं वो महंगी हैं और उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की उपलब्धता भी सीमित बताई जाती है. ऐसे में सोडियम और अन्य चीजों पर आधारित बैटरियों को तैयार करने के लिए तकनीक की खोज और विकास किया जा रहा है.

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