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Army Maruti Gypsy : इंडियन आर्मी का भरोसेमंद साथी बन जाएगा इतिहास, जिप्सी के विकल्प की तलाश में सेना

सेना और पुलिस विभाग के ही नहीं बल्कि मारुति जिप्सी (Maruti Gypsy) कई लोगों के दिल के बहुत करीब है. बहुत से लोग आपको ये कहते मिल जाएंगे कि यदि कंपनी कुछ फीचर्स को थोड़ा अपग्रेड कर दे तो बदलाव के साथ आज भी मारुति जिप्सी को खरीदने के लिए कई लोग तैयार रहते हैं. लेकिन अब जल्द ही मारुति जिप्सी की ये कार इतिहास बनने की तरफ है...

Published: March 28, 2022 5:02 PM IST

By India.com News Desk | Edited by Rajneesh

Army Maruti Gypsy : इंडियन आर्मी का 'भरोसेमंद साथी' बन जाएगा इतिहास, जिप्सी के विकल्प की तलाश में सेना
फोटो क्रेडिट: twitter/adgpi

Army Maruti Gypsy : सेना और पुलिस विभाग के ही नहीं बल्कि मारुति जिप्सी (Maruti Gypsy) कई लोगों के दिल के बहुत करीब है. बहुत से लोग आपको ये कहते मिल जाएंगे कि यदि कंपनी कुछ फीचर्स को थोड़ा अपग्रेड कर दे तो बदलाव के साथ आज भी मारुति जिप्सी को खरीदने के लिए कई लोग तैयार रहते हैं. लेकिन अब जल्द ही मारुति जिप्सी की ये कार इतिहास बनने की तरफ है. ओलिव ग्रीन कलर की मारुति जिप्सी लंबे समय से भारतीय सेना का हिस्सा रही है और अब भारतीय सेना अपने अब तक के भरोसेमंद रहे वाहन जिप्सी का विकल्प तलाश कर रही है.

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सेना के लिए बनाई 700 जिप्सी

आपको बता दें कि आम लोगों के लिए मारुति सुजुकी ने जिप्सी का प्रॉडक्शन काफी पहले से ही बंद कर दिया था, लेकिन सेना के लिए कंपनी इस कार की सप्लाई कर रही थी. जून 2020 में जब पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जब गतिरोध अपने चरण पर था, तब भी मारुति ने लगभग 700 जिप्सी भारतीय सेना को सप्लाई की थीं.

सेना के पास हैं 35 हजार जिप्सियां

रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मारुति जिप्सी की रिप्लेसमेंट के लिए आने वाले महीनों में नए सॉफ्ट-टॉप 4X4 व्हीकल्स के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल जारी किया जा सकता है. भारतीय सेना में इस वक्त तकरीबन 35 हजार जिप्सियां हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीकों से हटाया जाना है.

4X4 लाइट व्हीकल्स खरीद प्रस्ताव को मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने पिछले हफ्ते ही नए 4X4 लाइट व्हीकल्स की खरीदारी के सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में सेना को ऐसे 4964 वाहन खरीदने की मंजूरी मिली है और बाकी अन्य वाहनों की खरीद भी अलग-अलग फेज में की जाएगी.

न्यूनतम कर्ब वेट 500 से 800 किग्रा के बीच

हालांकि DAC ने यह भी शर्त जोड़ी है कि सेना के खरीदे जाने वाले इन वाहनों का न्यूनतम कर्ब वेट 500 से 800 किग्रा के बीच होना चाहिए. ये नए वाहन जिप्सी की जगह लेंगे. द प्रिंट ने एक सूत्र के हवाले से लिखा कि अगले कुछ महीनों में एक RFP जारी होगा और इसके बाद उपयुक्त वाहन की तलाश और ट्रायल शुरू होगा.

जिप्सी के फायदे

सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना ऐसे सॉफ्ट-टॉप 4X4 वाहन की तलाश कर रही है जिनका इस्तेमाल समतल मैदान, रेगिस्तान और पहाड़ी इलाकों जैसे पहाड़ आदि में भी किया जा सके. वहीं सॉफ्ट-टॉप को प्रमुखता देने के पीछे मुख्य वजह यह है कि इस पर जवान अपनी राइफल सहित अन्य हथियारों को रख सकते हैं. इसके अलावा सॉफ्ट-टॉप वाहनों में क्विक रिएक्शन टीमों (QRT) के मूवमेंट में भी आसानी होती है.

जिप्सी का मेंटेनेंस

मारुति जिप्सी का वजन लगभग 985 किग्रा है और इसका मेंटेनेंस भी कम खर्चीला और आसान है. मारुति सुजुकी ने 2018 में सेफ्टी और उत्सर्जन मानकों (एमिशन नॉर्म्स) के पूरा न होने के चलते जिप्सी का प्रॉडक्शन बंद कर दिया लेकिन सेना की तरफ से स्पेशल डिमांड पर कुछ जिप्सी सप्लाई की जा रही थीं. अब वक्त बदलाव का है और सेना को ज्यादा आधुनिक और मजबूत वाहनों की जरूरत है.

ओपन टेंडर से होगी खरीद

सूत्रों के मुताबिक सेना को वाहन सप्लाई किए जाने की प्रक्रिया सूत्रों ने कहा कि यह एक ओपन टेंडर होगी और कंपनियां मौजूदा प्लेटफार्मों के आधार पर विकसित एक नया वाहन पेश कर सकती हैं. अगर ऐसी स्थिति आती है कि सेना की तरफ से 2 कंपनियों के वाहन ट्रायल में पास होते हैं तो सबसे कम और दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाले वाहनों के बीच विभाजित किया जा सकता है.

सफारी नहीं ले पाएगी जिप्सी की जगह

सूत्रों के मुताबिक सेना ने 2017 में हार्ड-टॉप सफारी स्टॉर्म (Tata Safari Strom) का ऑर्डर दिया था, उस समय यह माना जा रहा था कि सफारी जल्द ही जिप्सी की जगह ले लेगी. सूत्रों के मुताबिक सफारी बिल्कुल अलग कैटेगरी का वाहन है. सफारी साइज में भी बड़ी है और उसका वजन भी तकरीबन 1800 किग्रा है. यही वजह है कि कुछ खास इलाकों में यह जिप्सी का विकल्प नहीं बन सकती है. सफारी को सेना में ज्यादातर वरिष्ठ अधिकारी इस्तेमाल करते हैं.

टाटा ने लगाई थी सबसे कम बोली

साल 2017 में फाइनल ऑर्डर देने से पहले टाटा सफारी और महिंद्रा स्कॉर्पियो का लगभग 15 महीनों तक ट्रॉयल किया गया था. जिसमें टाटा ने सबसे कम बोली लगाई थी और उसे 3192 सफारी की सप्लाई का ठेका मिल गया था.

M4 लाइट स्ट्राइक व्हीकल की जरूरत

भारतीय सेना ने अपनी विशेष यूनिट्स पैराशूट और पैरा एसएफ यूनिट्स के लिए 2018 में फोर्स मोटर्स (Force Motors) से लाइट स्ट्राइक व्हीकल भी खरीदे थे. साल 2002 में सेना के स्पेशल फोर्सेज के आधुनिकीकरण के लिए सेना के एक अध्ययन में लाइट स्ट्राइक व्हीकल जैसे विशेष वाहनों की जरूरत बताई गई थी. पिछले साल ही सेना ने पुणे स्थित कल्याणी ग्रुप की कंपनी भारत फोर्ज से 27 M4 ऑर्मर्ड व्हीकल खरीदे थे. भारत फोर्ज कंपनी साउथ अफ्रिका की कंपनी पैरामाउंट ग्रुप के साथ मिल कर ये व्हीकल बना रही है.

महिंद्रा डिफेंस के साथ करार

वहीं बाद में, सेना ने महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ 1,056 करोड़ रुपये की लागत के 1,300 लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए था. इन बख्तरबंद (ऑर्मर्ड) लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स में मीडियम मशीन गन, ऑटोमैटिक ग्रेनेड लांचर के साथ-साथ एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स लगाने की भी सुविधा होगी.

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