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Bihar: विधानसभा परिसर में DM, SSP की कार को रास्ता देने के लिए मंत्री की कार रोकी पुलिसकर्मी ने, अब हाई लेविल की जांच के आदेश
विधानसभा परिसर में श्रम संसाधन मंत्री जिवेश मिश्रा ने अपने वाहन को ड्यूटी पर तैनात एक यातायात पुलिसकर्मी द्वारा पटना के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के काफिले के गुजरने तक रोके जाने पर का मामला सदन में उठाया था
पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा परिसर (Assembly premises) में श्रम संसाधन मंत्री (Labor Resources Minister) जिवेश मिश्रा (Jivesh Mishra) की गाड़ी को रोके जाने के मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं. बता दें कि बीते 2 दिसंबर को एसएसपी और डीएम को रास्ता देने के लिए पुलिस द्वारा विधानसभा परिसर में अपनी कार रोके जाने पर मंत्री जीवेश मिश्रा वहीं भड़क गए थे और संबंधित पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग की थी.
इस मामले पर बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा, जीवेश मिश्रा जी एक सक्षम, कुशल मंत्री हैं. राज्य सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों मामले की जांच के लिए आदेश दिया है कि वे जांच करें कि और जांच करें कि किसकी ढिलाई के कारण यह घटना हुई. एक बार यह हो जाने के बाद हम निश्चित रूप से उपयुक्त उपाय करेंगे.
Jivesh Mishra ji is a competent, skillful minister. State govt has ordered senior officials to investigate the matter and probe whose laxity resulted in this incident. We will certainly take suitable measures once this is done: Bihar Deputy CM Tarkishore Prasad pic.twitter.com/RSOcTHV2r8
— ANI (@ANI) December 3, 2021
विधानसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि श्रम संसाधन मंत्री जिवेश कुमार मिश्रा से जुड़े मामले को सदन की कार्य मंत्रणा समिति में उठाया गया था, जिसके बाद सरकार ने उच्चस्तरीय अधिकारियों को जांच करने को कहा है ताकि कार्रवाई की जा सके.
बिहार विधानसभा परिसर में बृहस्पतिवार को मिश्रा ने अपने वाहन को ड्यूटी पर तैनात एक यातायात पुलिसकर्मी द्वारा पटना के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के काफिले के गुजरने तक रोके जाने पर इसे जनप्रतिनिधि का अपमान बताते हुए सदन में उठाया था और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
मंत्री मिश्रा ने शुक्रवार को सदन को बताया कि पटना के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने बृहस्पतिवार देर रात उनसे उनके आवास पर मुलाकात कर इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए क्षमा मांगी थी पर वह इस शर्त पर तब क्षमा करने को तैयार हुए जब उन्होंने कहा कि इसकी जांच होगी और उचित कार्रवाई होगी.
भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने जानना चाहा कि इस मामले की जांच जिस एजेंसी को सौंपी गई है क्या उसमें जिले के पुलिस और प्रशासन के प्रमुख शामिल हैं. आलम की पार्टी के सहयोगी सत्यदेव राम ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निलंबन की मांग करते हुए कहा कि यदि वे अपने संबंधित पदों पर बने रहे तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं. आरजेडी विधायक रामानुज प्रसाद ने आश्चर्य जताया कि जांच की औपचारिकता की आवश्यकता क्यों है और क्या सरकार को लगता है कि उसके अपने मंत्री ने सदन के पटल पर झूठ बोला था.
वहीं, कांग्रेस के विजय शंकर दुबे ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों के व्यक्तिगत रूप से मंत्री से मिलकर माफी मांगने पर भी इसे दबाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इसे मंत्री द्वारा सदन के भीतर स्वयं उठाए जाने से अब यह सदन की जिम्मेदारी बनती है कि उसपर निर्णय ले. एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि ऐसा लगता है कि सत्ता पक्ष के विधायकों को मंत्री के साथ घटी इस घटना की कोई परवाह नहीं है, क्योंकि विपक्षी सदस्य ही इस मामले में मंत्री के साथ खडे़ दिख रहे हैं.
भाजपा विधायक दल के नेता नंद किशोर यादव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदन के सदस्यों को विधायकों की गरिमा के लिए अध्यक्ष की चिंता पर संदेह नहीं है. उन्हें अध्यक्ष पर भरोसा करना चाहिए और आश्वस्त रहना चाहिए कि उचित कार्रवाई की जाएगी.