By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
बिहार में नगरपालिका चुनाव को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी का बड़ा बयान, जानें क्या बोले ललन सिंह...
Bihar Municipal Elections Update: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए अदालत द्वारा खारिज किए गए आरक्षण के बहाल होने के बाद ही राज्य में नए नगरपालिका चुनाव होंगे.
Bihar Municipal Elections Update: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए अदालत द्वारा खारिज किए गए आरक्षण के बहाल होने के बाद ही राज्य में नए नगरपालिका चुनाव होंगे. JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पार्टी संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी. इससे एक दिन पहले पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आरक्षण को ‘अवैध’ घोषित कर दिया था, तथा राज्य निर्वाचन आयोग को सभी आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में पुनः अधिसूचित किए जाने के बाद ही प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. राज्य निर्वाचन आयोग ने अदालत के आदेश के बाद दो चरणों में 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को यह कहते हुए टाल दिया है कि नई तारीखों की घोषणा उचित समय पर की जाएगी.
ललन ने कहा कि कोटा में कोई अवैधता नहीं है और इसी के आधार पर 2006 में पंचायतों और एक साल बाद शहरी स्थानीय निकाय चुनाव हुए थे. उन्होंने कहा कि हमें संदेह है कि गड़बड़ी में भाजपा का हाथ है. जदयू नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा और उसकी मूल संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हमेशा आरक्षण का विरोध करती रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम शहरी स्थानीय निकायों में आरक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की पृष्ठभूमि की जांच करें तो उनके भाजपा के साथ संबंध सामने आएंगे. कुशवाहा ने दावा किया कि अदालत के आदेश का भाजपा के कई नेताओं ने निजी तौर पर जश्न मनाया.
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा 2013 तक जदयू की सहयोगी रही थी जब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर मतभेदों के बाद राजग से अलग हो गए थे. साल 2017 में दोनों दलों ने फिर से गठबंधन किया और 2019 में लोकसभा चुनाव तथा एक साल बाद बिहार विधानसभा चुनाव साथ लड़े और इस साल अगस्त तक गठबंधन की सरकार साथ चलाई पर कुमार ने जदयू को तोड़ने के प्रयास का आरोप लगाते हुये एक बार फिर से भगवा पार्टी का साथ छोड़ दिया.
भाजपा अपनी ओर से कानूनी तकरार के लिए कुमार को जिम्मेदार ठहरा रही है और आरोप लगा रही है. भाजपा का आरोप है कि सरकार ने चुनावी उद्देश्यों से आरक्षण की सिफारिश के लिए एक स्वतंत्र आयोग के गठन जैसी औपचारिकताएं पूरी नहीं की. मुख्य विपक्षी कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के संरक्षक कर्पूरी ठाकुर के युग की भी चर्चा कर रही है. उनका दावा है कि उसके अग्रदूत भारतीय जनसंघ ने हमेशा दिवंगत समाजवादी नेता के सामाजिक न्याय के उपायों का समर्थन किया था, जबकि कांग्रेस विरोध में थी, जो बिहार में नवगठित सत्तारूढ़ महागठबंधन का एक हिस्सा है.
(इनपुट: भाषा)