By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में आरोप तय करने पर अदालत 18 मार्च को सुनाएगी फैसला
बालिका गृह मामले में सीबीआई ने 21 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर रखा है.
नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में आरोप तय करने पर अपना आदेश वह 18 मार्च सुनाएगी. इस मामले में सीबीआई ने 21 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर रखा है. बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार किया गया था और उन पर यौन हमला किया गया था. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा सामने आया था. इस मामले में 31 मई, 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोप तय करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान आरोपियों में एक अश्वनी कुमार के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ यौन हमले का सीधा आरोप नहीं है. इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का कथित करीबी कुमार बतौर डॉक्टर उसके एनजीओ ‘सेवा संकल्प और विकास समिति’ से जुड़ा था और वह आश्रय गृह में लड़कियों के यौन उत्पीड़न से गुजरने से पहले उन्हें कथित रूप से नशीली दवा वाली सूई लगाता था.
इस कांड के सभी आरोपियों ने सीबीआई द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया है और कहा कि उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. सीबीआई ने अदालत में दावा किया था कि इस आश्रय गृह में कई लड़कियों पर यौन हमला किया गया और आरोपियों के खिलाफ धारा 375 (बलात्कार) समेत भादसं और पॉक्सो की विभिन्न संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. 7 फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने प्रशासन को इस मामले को बिहार से दिल्ली के साकेत जिला अदालत परिसर की बाल यौन अपराध सुरक्षा (पोक्सो) अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. इस अदालत को रोजाना आधार पर सुनवाई कर छह महीने के अंदर इस मामले का निस्तारण करना है.