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मुसलमानों को आजादी के वक्त ही भेज देना चाहिए था पाकिस्तान, पूर्वजों ने की गलती: गिरिराज सिंह
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के नाम पर देश में भारत विरोधी एजेंडा चलाया जा रहा है. उन्होंने शरजील इमाम के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बयान लोकतांत्रिक नहीं है बल्कि खिलाफत आंदोलन है.
पूर्णिया: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि साल 1947 में सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेज देना चाहिए था. हमारे पूर्वजों की यह सबसे बड़ी चूक थी, जिसका खामियाजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है. गुरुवार के दिन बिहार के पुर्णिया में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के नाम पर देश में भारत विरोधी एजेंडा चलाया जा रहा है. उन्होंने शरजील इमाम के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बयान लोकतांत्रिक नहीं है बल्कि खिलाफत आंदोलन है. गौरतलब है कि बीते कल असदुद्दीन ओवैसी की रैली में एक युवती ने पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए थे. वहीं शरजील इमाम द्वारा असम को भारत से अलग करने व जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े वाले नारों को जोड़ते हुए गिरिराज सिंह ने प्रतिक्रिया दी है.
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केंद्रीय मंत्री ने जेएनयू और एएमयू के कई हालिया मामलों पर बोलते हुए कहा कि आज समय आ गया है कि लोगों को राष्ट्र के प्रति समर्पित होना होगा. आजादी और विभाजन पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि 1947 से पहले हमारे पूर्वज आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे और जिन्ना इस्लामिक देश बनाने की योजना बना रहे थे.
उन्होने कहा कि आजादी के समय हमारे पूर्वजों से बहुत बड़ी भूल हुई. अगर 1947 में मुसलमान भाईयों को पाकिस्तान भेज दिया जाता और हिंदुओं को बुला लिया जाता तो आज यह नौबत ही नहीं आती. अगर भारतवंशियों को भारत में ही जगह नहीं मिलेगी तो भला कौन सा देश उन्हें शरण देगा.
बता दें कि इस्लामी मदरसा देवबंद को आतंकवादी का फव्वार बताए जाने को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गिरिराज सिंह को तलब भी किया था. गिरिराज सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब देश में नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद परवेश वर्मा दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विवादित बयान दे चुके हैं.