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पटना: बिहार के मुस्लिम बहुल जिलों में उर्दू माध्यम के विद्यालयों के शुक्रवार को बंद रहने और रविवार को कक्षाएं संचालित करने पर बीजेपी के नेताओं के एक वर्ग के ऐतराज जताने पर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच वैचारिक मतभेद एक बार फिर सामने आ गया है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में उर्दू माध्यम के स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने के विषय पर अपने एक बयान से शनिवार को नया विवाद खड़ा कर दिया. बेगूसराय से लोकसभा सदस्य सिंह ने इस प्रावधान को शरिया कानून लागू करने की कोशिश जैसा बताया.
भाजपा के नेता ने कहा, ”बचपन से ही हम जानते हैं कि स्कूलों और कार्यालयों में रविवार को छुट्टी रहती है. मुझे लगता है कि कुछ संस्थानों में शुक्रवार को छुट्टी देना एक संप्रदाय को लाभ पहुंचाने के लिए शरिया कानून लागू करने की कोशिश जैसा है.” केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस संबंध में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यह कहा. पहले भी, गिरिराज सिंह तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ अपने बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं.
दिलचस्प बात यह है कि राज्य में भाजपा के मंत्री मुख्यमंत्री के साथ विवाद में पड़ने से परहेज कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने तीन दशक से राजनीतिक गठबंधन में रहने के बाद भी भाजपा से वैचारिक दूरी बनाकर रखी हैं.
बिहार के मुस्लिम बहुल जिलों में उर्दू माध्यम के विद्यालयों के शुक्रवार को बंद रहने और रविवार को कक्षाएं संचालित करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के एक वर्ग के ऐतराज जताने पर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच वैचारिक मतभेद एक बार फिर सामने आ गया है. शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन विभाग के सूत्रों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा हाल में बिहार एवं झारखंड सरकारों को भेजे गए नोटिस को इस विवाद की वजह बताया. उन्होंने कहा, एनसीपीसीआर ने जानना चाहा है कि क्या ऐसी व्यवस्था के लिए कोई सरकारी आदेश था? खासकर मुस्लिम बहुल जिलों में उर्दू माध्यम के विद्यालय कई वर्षों से शुक्रवार को बंद रहते हैं.
इस बात की भनक लगने पर कई स्थानीय भाजपा नेताओं ने मीडिया के सामने आकर शुक्रवार की छुट्टी के का जिक्र करते हुए ”धर्म को शिक्षा के साथ मिलाने” पर सवाल उठाए. मुसलमान शुक्रवार को बहुत पावन मानते हैं और उस दिन वे ‘जुम्मे की नमाज’ पढ़ते हैं. इस बात से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) निश्चित रूप से चिढ़ गयी, जिसके पास 15 साल पहले भाजपा के साथ गठबंधन में सत्ता में आने के बाद से शिक्षा विभाग है.
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, हम नेताओं को हर छोटी-मोटी बात पर तूफान नहीं खड़ा करना चाहिए . लोगों को ध्यान में रखना चाहिए कि संस्कृत महाविद्यालयों में हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने प्रतिपदा और अष्टमी को छुट्टी होती है. जदयू की बी टीम समझे जाने वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख प्रवक्ता दानिश रिजवान ने भी सवाल किया, स्कूल के शुक्रवार को बंद रहने पर कुछ लोगों के पेट में दर्द क्यों होने लगता है? क्या विद्यार्थियों के अभिभावकों ने शिकायत की है? पढाई प्रभावित नहीं होती है. अन्य विद्यालयों की भांति ऐसे विद्यालयों में भी सप्ताह में छह दिन पढ़ाई होती है. यदि शुक्रवार से इतनी ही दिक्कत है तो जम्मू कश्मीर में उस दिन संस्थान क्यों बंद रहते हैं?
वरिष्ठ भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद से जब इस विषय में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,सरकार द्वारा चलाया जा रहा हर संस्थान, चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में, छुट्टियों को लेकर दिशानिर्देश जारी करता है. कोई भी संस्थन उसके विरूद्ध नहीं जा सकता. शिक्षा विभाग इस मुद्दे को देख रहा है. यदि कुछ नियमों के विपरीत होता है, तो उसे सही किया जाएगा. जब उनसे कहा गया कि चूंकि यह मामला उनके जिले का है तो क्या शिक्षा मंत्री एवं वरिष्ठ जदयू नेता विजय कुमार चौधरी से बातचीत हुई है, तो उन्होंने कहा,मेरे दखल देने की जरूरत नहीं है. शिक्षा विभाग इस मुद्दे पर गौर करने एवं जो भी जरूरी हो, वह करने में सक्षम है. लेकिन भाजपा नेता पीछे हटने को तैयार नहीं लगते.
पार्टी सांसद राकेश सिंह ने शुक्रवार को विद्यालयों में छुट्टी के बचाव के प्रयास को अतार्किक करार दिया और ट्वीट कर सवाल किया, ऐसा क्यों है कि 99 फीसद मुस्लिम जनसंख्या वाले देश तुर्की में रविवार को छुट्टी रहती है, लेकिन किशनगंज में शुक्रवार को छुट्टी होती है. किशनगंज बिहार का एकमात्र जिला है जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं. शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार किशनगर के अलावा उसके आसपास के अररिया, कटिहार और पूर्णिया में उर्दू माध्यम के विद्यालयों की बड़ी तादाद है.
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