मुजफ्फरपुर शेल्टर होम स्कैंडल: ट्रॉमा से लड़ रही हैं लड़कियां, कुछ ने बयां की घर छूटने की दर्दनाक कहानियां

बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर हाउस में ज्यादती का शिकार हुई 34 लड़कियों अब भी ट्रॉमा में हैं. उनमें गुस्सा भरा हुआ है.

Updated: August 3, 2018 9:09 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Raghvendra Mishra

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम स्कैंडल: ट्रॉमा से लड़ रही हैं लड़कियां, कुछ ने बयां की घर छूटने की दर्दनाक कहानियां
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मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर हाउस में ज्यादती का शिकार हुई 34 लड़कियों अब भी ट्रॉमा में हैं. उनमें गुस्सा भरा हुआ है. हालांकि, वह उससे उबरने की कोशिश कर रही हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने 34 में से 10 पीड़िताओं की काउंसलर से बात की. उन्होंने बताया कि वे उनके पास आईं तो लगातार लड़ाई करती थीं और एक दूसरे को गालियां देती थीं. उन्हें शांत करना काफी मुश्किल काम था. काउंसलर ने बताया, हम पीड़िताओं से उसे ट्रेजेडी के बारे में बात नहीं करते हैं, क्योंकि इससे वह डिस्टर्ब हो जाती हैं. हम जो कहते हैं वे सुनती और समझती हैं, लेकिन हमेशा प्रतिक्रिया नहीं देती हैं. उन्होंने काफी सहा है और उन्हें रिकवर होने में समय लगेगा.

3 इंस्टीट्यूट में हैं पीड़िताएं
बता दें शेल्टर हाउस की पीड़िताओं को बिहार के तीन इंस्टीट्यूट में रखा गया है. एक सेंटर की काउंसलर के मुताबिक, 70 फीसदी लड़कियां बिहार की ही हैं. इनमें ज्यादातर मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर की हैं. हालांकि, एक पीड़िता देहरादून और एक हरियाणा की भी है. इनमें 7 साल की एक पीड़िता अपनी मां से नाराज थी, क्योंकि वह उसे दादी के घर नहीं ले जा रही थी. उसने घर छोड़ दिया और गुम हो गई थी. बाद में वह पुलिस तक पहुंची थी, जिसके बाद उसे शेल्टर हाउस में शिफ्ट किया गया था.

महिला आयोग की सदस्य ने सुनी थी आपबीती
राज्य महिला आयोग की सदस्य निक्की हेंबरान ने हाल ही में लड़कियों से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा, 18 साल की एक लड़की ने बॉयफ्रेंड के लिए घर छोड़ दिया था. बॉयफ्रेंद ने उससे शादी का वादा किया था, लेकिन वह रेलवे स्टेशन पर नहीं आया. इसके बाद वह रेलवे स्टेशन पर ही सदमें से गिर गई. बाद में उसे मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस लाया गया. कुछ लड़कियां घर छोड़कर भाग गई थीं तो कुछ का अपहरण हो गया था. इनमें से कुछ को प्रॉस्टीट्यूशन करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद उन्हें शेल्टर होम में लाया गया था.

पहले से बेहतर
हेंबरान के मुताबिक, जब पटना में पहले दिन हमारी लड़कियों से मुलाकात हुई थी तो वे दर्द में थीं. वे मुश्किल से बात कर सकती थीं. उन्हें किसी पर विश्वास नहीं था. हालांकि, हाल में हमारी उनसे मुलाकात हुई तो वे थोड़ी ठीक लग रही थीं. उन्होंने बताया कि वे अब खुश हैं.

कोर्ट ने लगाई रोक
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िताओं की तस्वीरों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें (पीड़िताओं) बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने इस प्रतिबंध में मीडिया से भी कहा कि पीड़िताओं का साक्षात्कार नहीं ले. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने पटना से रणविजय कुमार नामक एक व्यक्ति का एक पत्र मिलने के बाद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और आश्रय गृह में कथित यौन शोषण की शिकार लड़कियों का मीडिया द्वारा बार-बार साक्षात्कार लिये जाने पर चिंता जताई. पीठ ने बिहार सरकार और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किये और कथित पीड़िताओं की तस्वीरों का रूप बदलकर भी इन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित करने पर रोक लगाई.

दो की स्थिति ठीक नहीं
चिकित्सा परीक्षण में 42 में से 34 लड़कियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई है जबकि दो अन्य की स्थिति अब तक ठीक नहीं है और उनकी चिकित्सा जांच होनी है. टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि आश्रय गृह में कई लड़कियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी. इन शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था.

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