
Bihar में चाचा-भतीजा के बीच जंग, Chirag Paswan का बड़ा आरोप-रची गई है साजिश, लड़ाई लंबी चलेगी
Bihar में लोजपा में चल रही चाचा-भतीजा के बीच जंग जारी है. इस बीच Chirag Paswan ने बड़ा आरोप लगाया है और कहा है कि पार्टी को तोड़ने की साजिश रची गई . अभी लड़ाई लंबी चलेगी.-

Bihar Politics: रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी बनाई थी, जिसे उन्होंने मरते दम तक मजबूत रखा और किसी ना किसी तरह उनकी पार्टी सत्ता में शामिल रही. रामविलास के बेटे (Chirag Paswan) और उनके भाई पशुपति पारस के बीच चल रही खींचतान के बीच लोजपा अब दो फाड़ हो चुकी है. हालांकि लोजपा में बगावत की बात लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही सामने आने लगे थे और अब चाचा-भतीजा के बीच जारी जंग लंबी चलने वाली है.
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मेरे पिता अस्पताल में भर्ती थे, पार्टी तोड़ने की साजिश रची जा रही थी
खुद को लोजपा का अध्यक्ष साबित करने के लिए चिराग पासवान ने बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस की और अपना पक्ष रखा. चिराग ने कहा कि कुछ समय से मेरी तबीयत ठीक नही थी. जो हुआ वो मेरे लिये ठीक नही था, दवाई लेकर आया हूं. पार्टी में फूट और बिहार की राजनीति में अलग-थलग पड़ने के बीच चिराग ने कहा कि एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी और समय-समय पर सबके सवाल का जवाब हम देंगे. उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि जब मेरे पिता अस्पताल में भर्ती थे, तब से ही पार्टी को तोड़ने की साजिश चल रही थी.
दरअसल, एलजेपी के छह सांसदों में पांच सांसदों ने बगावत कर चिराग की जगह पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को संसदीय दल का नया नेता नियुक्त किया है.
चिराग पासवान ने इसके जवाब में पटना में मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर इन सभी असंतुष्ट नेताओं को पार्टी से निकाल दिया था. जिसके बाद बवाल मचा है. एक तरफ जहां पशुपति पारस के समर्थकों ने चिराग को अपना नेता मानने से इंकार कर दिया है वहीं चिराग समर्थकों ने आज पशुपति पारस के घर को चारों तरफ से घेर लिया था.
मैंने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया
चिराग ने कहा कि 8 अक्टूबर के बाद पिताजी के जाने के बाद तुरंत हमें चुनाव में जाना पड़ा. मैंने किसी भी हालत में मुद्दे पर समझौता नही किया और साफ कह दिया कि जेडीयू के साथ नहीं, अलग रहेंगे. यह मेरा नहीं, पार्टी का फैसला था. उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ लोग संघर्ष करना नही चाहते. हम अगर बिहार में नीतीश के साथ लड़ते तो कही ज़्यादा बहुमत मिलता, लेकिन मुझे नतमस्तक होना पड़ता. विधानसभा चुनाव में मुझे चाचा सहित कई नेताओं का सहयोग नही मिला.
पार्टी में फूट और बिहार की राजनीति में अलग-थलग पड़ने के बीच चिराग ने कहा कि एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. मैं इस मसले को आगे नही बढ़ाना चाहता था लेकिन अनुशासन के लिए कार्रवाई करनी पड़ी. मैं पार्टी और परिवार को बचाना चाहता था, लेकिन जब लगा, अब कुछ नहीं हो सकता तो फिर मैंने उनको निकाला.
चिराग ने कहा कि मेरे चाचा मुझे कहते तो मैं उनको लोकसभा नेता बना देता, लेकिन जिस तरीके से उनको नेता चुना गया वो प्रक्रिया गलत थी. यह निर्णय संसदीय बोर्ड के पास है. जेडीयू ने समाज को बांटने की कोशिश की. दलित और महादलित के नाम पर बांटने की कोशिश की, लेकिन मेरे साथ और पार्टी के साथ बिहार की जनता खड़ी है.
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