प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर हमला, बोले- गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते

पूर्व जेडीयू नेता प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि वह नीतीश को कई मायनों में पिता तुल्य ही मानते हैं

Published: February 18, 2020 6:27 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर हमला, बोले- गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते
प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि महात्मा गांधी की बात करने वाले नीतीश कुमार नाथूराम गोडसे की विचाराधारा के लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं?

पटना: बिहार में सत्ताधारी जद(यू) से निष्कासित प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उपदेशों की बात करने वाले नीतीश नाथूराम गोडसे की विचाराधारा से सहमत लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं? प्रशांत ने कहा, ”यदि आप भाजपा के साथ रहना चाहते हैं तो उसमें हमें दिक्कत नहीं है पर मतभेद का पहला विषय है कि गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते. आपको बताना पड़ेगा कि हम किस ओर खड़े हैं.”

वहीं, जेडीयू ने प्रशांत किशोर पर पलटवार किया है. जदयू नेता अजय आलोक ने कहा, जब वे मानसिक रूप से अस्थिर होते हैं, तो कोई इस तरह की बात करता है. एक तरफ, वह कहते हैं कि नीतीश कुमार मेरे पिता की तरह हैं, दूसरी ओर, वे उसी व्यक्ति की खामियों को खोदते हैं जो सच नहीं है.

प्रशांत ने पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्वीकार किया कि वह नीतीश को कई मायनों में पिता तुल्य ही मानते हैं. उन्होंने कहा कि जदयू में उन्हें रखे जाने और पार्टी से निकाले जाने का नीतीश ने जो भी निर्णय किया वह उसे हृदय से स्वीकार करते हैं और उनके प्रति आदर आगे भी बना रहेगा.

वह कहते थे कि गांधी, जयप्रकाश और लोहिया की बातों को हम नहीं छोड़ सकते
जेडीयू प्रमुख के साथ अपने मतभदों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश से जब भी बातें होती थी तो वह कहते थे कि महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया की बतायी हुई बातों को हम नहीं छोड़ सकते. उन्होंने कहा, ”मेरे मन में यह दुविधा रही है कि आप जब पूरे बिहार में गांधी जी की बताई हुई बातों को लेकर शिलापट लगा रहे और यहां के बच्चों को गांधी की बातों से अवगत करा रहे हैं, उसी समय गोडसे के साथ खडे हुए लोग अथवा उसकी विचारधारा को सहमति देने वालों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं ? दोनों बातें साथ नहीं हो सकती.”

गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते
प्रशांत ने नीतीश की तरफ इशारा करते हुए कहा, ”यदि आप भाजपा के साथ रहना चाहते हैं तो उसमें हमें दिक्कत नहीं है पर मतभेद का पहला विषय है कि गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते. पार्टी के नेता के तौर पर आपको बताना पड़ेगा कि हम किस ओर खड़े हैं.”

मतभेद की वजह नीतीश का गठबंधन
चुनाव रणनीतिज्ञ व पूर्व जेडीयू नेता ने कहा कि दूसरी मतभेद की वजह नीतीश के गठबंधन (राजग) में स्थान को लेकर है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ नीतीश का संबंध पिछले 15 सालों है पर 2004 में राजग में उनका जो स्थान था, उसमें आज जमीन आसमान का अंतर है.

नीतीश कुमार बिहार की शान
नीतीश कुमार को बिहार की शान करार देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आज 16 सांसदों वाले दल के नेता को जब गुजरात के कोई नेता (अमित शाह) यह बताते हैं कि आप ही राजग के बिहार में नेता बने रहिएगा, तो उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगती.

बिहार का मुख्यमंत्री 10 करोड़ लोगों का नेता है और उनका सम्मान, शान और आन है
प्रशांत ने कहा, ”बिहार का मुख्यमंत्री यहां के दस करोड़ लोगों का नेता है और उनका सम्मान, शान और आन है . वे कोई मैनेजर नहीं है कि किसी दूसरे दल का नेता उन्हें डिप्यूट करे कि यह हमारे नेता होंगे. यह अधिकार केवल और केवल बिहार की जनता का है.”

हम लोग वह नेता चाहते हैं जो किसी का पिछलग्गू नहीं बने
नीतीश का नाम लिए बिना प्रशांत ने कहा, ”हम लोग वह नेता चाहते हैं कि जो सशक्त और समृद्ध भारत और बिहार के लिए अपनी बात कहने के वास्ते किसी का पिछलग्गू नहीं बने.”

क्या हमें विशेष राज्य का दर्जा मिल गया?
जेडीयू और भाजपा के बीच समझौते की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इतना समझौता करने के बावजूद क्या बिहार की तरक्की यहां के लोगों की अपेक्षा और आकांक्षा के अनुसार हो गई ? क्या हमें विशेष राज्य का दर्जा मिल गया? उन्होंने कहा, ‘‘पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विद्यालय का दर्जा देने के लिए नीतीश जी ने हाथ जोड़कर सार्वजनिक मंच से प्रार्थना की पर उनकी बात को माना जाना तो छोड़ दीजिए आज तक केंद्र सरकार ने उसका जवाब तक नहीं दिया .’’

बिहार के लिए खड़े होंगे तो जनता उनके साथ खड़ी दिखेगी
प्रशांत किशोर ने प्रश्न किया कि क्या गठबंधन दो सीट अधिक पाने या मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए है? उन्होंने कहा, ”मेरा अपना मानना है नीतीश जी या कोई अन्य नेता बिहार के लिए खड़े होंगे तो बिहार की जनता उनके साथ खड़ी दिखेगी. उसके लिए किसी गठबंधन की जरूरत नहीं.”

लोग जानना चाहते हैं अगले 10 साल में आप बिहार के लिए क्या कीजिएगा?
प्रशांत ने कहा, ”अब लोग यह जानना चाहते हैं कि अगले दस साल में आप बिहार के लिए क्या कीजिएगा? लालू के शासनकाल की तुलना में बिहार कहां खड़ा है, उसे जरूर बताइए लेकिन यह भी बताइए कि बिहार महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक के मुकाबले कहां खड़ा है ? कितने दिनों तक यही बात कहते रहेंगे कि 2005 में बिजली नहीं थी और अब आ गई.”
बिहार को जो अग्रणी देखना चाहता है, वह चलाएगा.

कोई नया गठबंधन बनाने या नीतीश को हराने की योजना नहीं
प्रशांत किशोर ने अपनी मंशा को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी योजना कोई नया गठबंधन बनाने या नीतीश को हराने की नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार को वह चलाएगा जो इस अगले दस साल में बिहार को अग्रणी दस राज्यों में देखना चाहता है, और इसका ब्लूप्रिंट रखता हो.

20 फरवरी से ‘‘बात बिहार की’’ की शुरुआत
प्रशांत ने कहा कि उनका प्रयास है कि बिहार को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़े होने में अपनी क्षमता लगाने वाले युवाओं का एक राजनीतिक नेतृत्व खड़ा करने के मकसद से अगले 20 फरवरी से ‘‘बात बिहार की’’ नामक एक कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रहे हैं. इसके तहत प्रदेश के 8800 पंचायतों में से एक हजार लोगों को चुनने का प्रयास किया जाएगा जिनमें अधिकतर युवा हों .

बिहार का मुख्यमंत्री- यह कैसे संभव है?
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी बिहार का मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा है, प्रशांत ने कहा, ”मेरे पास न पद है, न दल है. मैं साधारण राजनीतिक कार्यकार्ता हूं. आप इतनी बड़ी बात कह रहे हैं. यह कैसे संभव है?”

जेडीयू नेता ने प्रशांत किशोर को बताया मानसिक रूप से अस्‍थिर
जदयू नेता अजय आलोक ने कहा, जब वे (प्रशांत किशोर) मानसिक रूप से अस्थिर होते हैं तो कोई इस तरह की बात करता है. एक तरफ, वह कहते हैं कि नीतीश कुमार मेरे पिता की तरह हैं, दूसरी ओर, वे उसी व्यक्ति की खामियों को खोदते हैं जो सच नहीं है.

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