By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
शरद यादव JDU में कर सकते हैं वापसी, उपेन्द्र कुशवाहा से की मुलाकात, अटकलें तेज
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्गज नेता शरद यादव एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी का रुख कर सकते हैं.
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्गज नेता शरद यादव एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी का रुख कर सकते हैं. हालांकि शरद यादव अपने स्वास्थ्य कारणों से इन दिनों राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने शरद यादव से मुलाकात की थी. शरद यादव से उनके डायलिसिस के बाद उनका कुशलक्षेम जाना. इसके बाद से शरद के जेडीयू में लौटने की अटकलें तेज हो गई हैं. गौरतलब कि कुशवाहा अक्सर कहते हैं कि वे जदयू से रूठे साथियों को वापस लाएंगे. पार्टी को नंबर वन बनाएंगे. इसी के मद्देनजर इन दिनों उपेंद्र कुशवाहा पुराने साथियों को मनाने और उनकी घर वापसी की कोशिशों में लगे हैं. इसी क्रम के तहत उपेंद्र कुशवाहा और शरद यादव की इस मुलाकात को देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि शरद यादव फिलहाल लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष हैं. दोनों नेताओं की मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है. लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी के अनुसार दोनों नेताओं के बीच बिहार की स्थिति पर चर्चा भी हुई है. उपेंद्र कुशवाहा ने बातचीत के दौरान रूठे शरद यादव को फिर से जदयू में लौटने को भी कहा, लेकिन अभी तक शरद यादव की ओर से इसे स्वीकृत नहीं किया गया है. उन्होंने कुछ दिनों का समय मांगा है.
अगर शरद यादव जेडीयू में वापसी करते हैं तो एक बार फिर राजनीतिक मंच पर नीतीश-शरद की जोड़ी दिख सकती है. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से जदयू को मजबूत करने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीरता दिखा रहे हैं. हालांकि पिछले साल अगस्त में भी जब नीतीश कुमार ने शरद यादव से फोन पर बात की थी, तो उनके जेडीयू में लौटने की अटकलें तेज हो गई थीं, लेकिन शरद यादव अब तक लौटने का मन नहीं बना पाये हैं.
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) पार्टी का गठन किया. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और इसी बैनर के तले मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन हार गए.