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क्या सीनियर सिटिजन्स को म्युचुअल फंड में करना चाहिए निवेश, जानें- ऐसे निवेशकों के लिए कितना फायदे का सौदा यह इन्वेस्टमेंट?
सीनियर सिटिजन्स को म्युचुअल फंड में निवेश करने के फायदे और नुकसान दोनों हैं. इसलिए विचार-विमर्श के बाद ही निवेश करना जरूरी है.
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट ऐसे इन्वेस्टर्स के बीच काफी तेजी से लोकप्रिय हो गए हैं जो अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने और अधिक रिटर्न की तलाश में रहते हैं. सीनियर सिटिजन्स, म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करके बेनिफिट ले सकते हैं. इससे उनकी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए कई तरह के बेनिफिट्स मिल जाते हैं. लेकिन, ऐसे निवेश में रिस्क भी रहता है. आइए, समझतें हैं कि सीनियर सिटिजन्स के लिए म्यूचुअल फंड्स के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं?
पहले यह समझते हैं कि सीनियर सिटिजन्स के लिए म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के क्या लाभ हैं?
प्रोफेशनल मैनेजमेंट
म्युचुअल फंड में इनवेस्ट करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे अनुभवी प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किए जाते हैं, जो बाजार का विश्लेषण करते हैं और इन्वेस्टर्स की तरफ से इन्वेस्टमेंट फैसले लेते हैं. यह सीनियर सिटिजन्स के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है जिनके पास अपने इन्वेस्टमेंट को सक्रिय रूप से मैनेज करने के लिए समय, एक्सपर्टाइज नहीं है. फंड मैनेजर्स की एक्पर्टाइज रिटर्न को उनके फेवर में करने और जोखिमों को कम करने में मदद कर सकती है.
डायवर्सिफिकेशन (Diversification)
म्युचुअल फंड कई इन्वेस्टर्स से पैसे कलेक्ट करते हैं और अलग-अलग असेट्स जैसे स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं. यह डायवर्सिफिकेशन अलग-अलग सेक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट जोखिम को कम करने में मदद करता है, पर्सनल इन्वेस्टमेंट में उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करता है. सीनियर सिटिजन्स के लिए डायवर्सिफिकेशन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी इन्वेस्टमेंट कैपिटल को प्रोटेक्ट करने में मदद करता है और ज्यादा स्थिर इनकम प्रदान करता है.
रेगुलर इनकम (Regular Income)
कई म्युचुअल फंड रेगुलर इनकम वितरण के लिए ऑप्शन प्रदान करते हैं, जो सीनियर सिटिजन्स के लिए आकर्षक हो सकते हैं. वे अपने जीवन यापन के खर्चों को पूरा करने के लिए अपने इन्वेस्टमेंट पर भरोसा करते हैं. विशेष रूप से इनकम के लिए डिज़ाइन किए गए फंड, जैसे डिविडेंड या फिक्स्ड इनकम फंड या ब्याज भुगतान के जरिए वे एक स्थिर इनकम प्रदान करते हैं.
लचीलापन (Flexibility)
म्युचुअल फंड सीनियर सिटिजन्स को इन्वेस्टमेंट राशि और तरलता (Liquidity) के मामले में लचीलापन (Flexibility) प्रदान करते हैं. इन्वेस्टर छोटी राशि से शुरुआत कर सकते हैं और धीरे-धीरे अपनी वित्तीय क्षमता के आधार पर अपने इन्वेस्टमेंट को बढ़ा सकते हैं. इसके अतिरिक्त, अधिकांश म्युचुअल फंड इन्वेस्टर्स को अपनी यूनिट्स को भुनाने (cash) या जब भी आवश्यकता हो, आंशिक निकासी करने की अनुमति देते हैं, तरलता (Liquidity) प्रदान करते हैं और किसी भी अप्रत्याशित वित्तीय आवश्यकताओं से निपटने में मदद करते हैं.
अब समझते हैं कि सीनियर सिटिजन्स के लिए म्युचुअल फंड के नुकसान क्या हैं?
बाजार जोखिम (Market Risks)
यह बात अलग है कि म्युचुअल फंड्स प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किए जाते हैं जिससे रिस्क को कम करने में मदद मिलती है. लेकिन, म्युचुअल फंड बाजार में उतार-चढ़ाव के अधीन हैं. अंतर्निहित प्रतिभूतियों (Underlying Securities) के प्रदर्शन के आधार पर म्यूचुअल फंड यूनिट्स का मूल्य बढ़ या गिर सकता है. कम जोखिम सहने वाले सीनियर सिटिजन्स को इन्वेस्टमेंट के लिए चुने गए फंड के एसेट एलोकेशन और रिस्क प्रोफाइल पर सावधानी से विचार करना चाहिए.
फीस और खर्चे (Fees and Expenses)
म्युचुअल फंड फंड को मैनेज करने के लिए फीस और खर्च चार्ज किए जाते हैं. मैनेजमेंट फीस और परिचालन लागत (Operational Costs) जैसे इन खर्चों को फंड की असेट से ही वसूला जाता है, जो समग्र रिटर्न (Overall returns) को प्रभावित कर सकता है. सीनियर सिटिजन्स को म्युचुअल फंड के व्यय अनुपात (Expense ratio) का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह फंड के प्रदर्शन के आधार पर उचित और न्यायोचित है.
टैक्स प्रभाव (Tax Implications)
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट में टैक्स भी शामिल हो सकते हैं, खासकर जब पूंजीगत लाभ की बात आती है. सीनियर सिटिजन्स को अपने इन्वेस्टमेंट के टैक्स पर भी विचार करना चाहिए और अपने म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट्स से पैदा होने वाली संभावित टैक्स देनदारी को समझने के लिए टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए.
बाजार की अस्थिरता (Market Volatility)
म्युचुअल फंड में डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट जोखिम को कम करने में मदद करता है, लेकिन यह इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं करता है. सीनियर सिटिजन्स को अपने इन्वेस्टमेंट के मूल्य में बाजार की अस्थिरता और संभावित उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए करना जरूरी होता है और शॉर्ट टर्म में मार्केट मूवमेंट्स के लिए जल्दी से कोई निर्णय न लें.
कुल मिलाकर, म्युचुअल फंड सीनियर सिटिजन्स के लिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट, डायवर्सफिकेशन, रेगुलर इनकम और फ्लेक्जिबिलिट समेत कई फायदे प्रदान करते हैं. लेकिन, सीनियर सिटिजन्स को संभावित नुकसानों से भी अवगत होना महत्वपूर्ण है, जैसे बाजार जोखिम, शुल्क और व्यय, टैक्स और बाजार में उतार-चढ़ाव.
(डिस्क्लेमर- सीनियर सिटिजन्स के लिए म्युचुअल फंड के बारे में यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए. म्युचुअल फंड या किसी अन्य वित्तीय साधन में निवेश करने में जोखिम शामिल है, और कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले पूरी तरह से रिसर्च करना और एक योग्य फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेना जरूरी है.)
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