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कोविड-19 महामारी में डोलो ने तोड़ा बिक्री का रिकॉर्ड, बिकी 350 करोड़ से ज्यादा गोलियां

कोविड-19 महामारी के दौरान डोलो ने बिक्री का रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस दौरान डोलो की 350 करोड़ से ज्यादा गोलियां बिक गईं. डोलो, जो इस समय कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के लिए सबसे अधिक लिखी जाने वाली बुखार की दवा है. आंकड़ों के अनुसार, इस दवा कंपनी ने 2021 में 307 करोड़ रुपये का कारोबार किया.

Published: January 21, 2022 8:19 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

Dolo
(FILE IMAGE)

कोविड-19 महामारी (COVID-19) ने कई स्वास्थ्य सेवाओं और फार्मा कंपनियों को अरबपति बना दिया है. इसी कड़ी में डोलो 650 (Dolo 650) गोली के निर्माता का भी भाग्य संवर गया है. महामारी के दौरान चिकित्सक सबसे अधिक यही दवा (Medicine) लेने की सलाह देते रहे हैं. मार्च 2020 में कोविड के प्रकोप के बाद से 350 करोड़ से अधिक डोलो (Dolo) गोलियां बेची गई हैं. हेल्थकेयर रिसर्च फर्म आईक्यूवीआईए (IQVIA) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2019 में कोविड के प्रकोप से पहले बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड (Micro Labs Ltd) द्वारा निर्मित पैरासिटामोल टैबलेट – डोलो के लगभग 7.5 करोड़ स्ट्रिप्स बेचे.

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डोलो, जो इस समय कोविड-19 (Covid-19) से संक्रमित रोगियों के लिए सबसे अधिक लिखी जाने वाली बुखार की दवा है. आंकड़ों के अनुसार, इस दवा कंपनी ने 2021 में 307 करोड़ रुपये का कारोबार किया.

इसकी तुलना में, जीएसके फार्मास्युटिकल्स कैलपोल का कारोबार 310 करोड़ रुपये रहा, जबकि क्रोसिन ने पिछले साल 23.6 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की थी.

इस तरह, महामारी के बीच डोलो 650 ब्रांड बुखार की सर्वोत्तम दवा का पर्याय बन गया है.

नई दिल्ली के द्वारका स्थित मणिपाल अस्पताल के एचओडी और सलाहकार (आंतरिक चिकित्सा) चारु गोयल सचदेवा के अनुसार, डोलो 650 मूल रूप से एक पैरासिटामोल दवा है.

चारु गोयल ने आईएएनएस को बताया, “अपनी सुरक्षा प्रोफाइल और इसकी प्रभावकारिता के कारण डोलो 650 बेहतर है. हमने अनुभव किया है कि लोग इस पर अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं, कहते हैं कि इस दवा से बुखार तेजी से कम होने लगता है. यह न केवल ज्वरनाशक दवा है, बल्कि इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता. आपको नेफ्रोटॉक्सिसिटी या कई अन्य दवाओं की तरह साइडइफेक्ट की चिंता करने की जरूरत नहीं है.”

जी.सी. सुराणा द्वारा चेन्नई में 1973 में स्थापित माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने 650 मिलीग्राम की पैरासिटामोल गोली डोलो का निर्माण किया, जबकि अधिकांश अन्य ब्रांड अपने पैरासिटामोल ब्रांड को 500 मिलीग्राम की गोली के रूप में बेचते हैं. अब एक सामान्य धारणा बन गई है कि डोलो 650 अन्य तरह की गोलियों से अधिक प्रभावी है.

लगभग 9,200 कर्मचारियों वाली माइक्रो लैब्स का सालाना कारोबार 2,700 करोड़ रुपये है. यह निर्यात में भी 920 करोड़ रुपये का योगदान देता है.

मानव डेटा विज्ञान और स्वास्थ्य सेवा में उन्नत एनालिटिक्स फर्म ओक्यूवीआईए के डेटा से यह भी पता चलता है कि डोलो और कैलपोल पैरासिटामोल सेगमेंट को चलाने वाले प्रमुख ब्रांड हैं.

पिछले हफ्ते से सोशल मीडिया पर एक मीम-फेस्ट में हैश डोलो 650 ट्रेंड कर रहा है.

देश के विभिन्न क्षेत्रों में पैरासिटामोल के लगभग 37 ब्रांड बेचे जा रहे हैं.

फरीदाबाद स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के अतिरिक्त निदेशक और प्रमुख रवि शेखर झा के अनुसार, डोलो की सुरक्षा प्रोफाइल अच्छी है और यह बहुत महंगी भी नहीं है.

झा ने आईएएनएस को बताया, “कोविड रोगियों के लिए सबसे अधिक परेशान करने वाला लक्षण बुखार है. बुखार से हृदय गति तेज हो जाता है और शरीर में दर्द बढ़ जाता है. डोलो की सुरक्षा प्रोफाइल अच्छी है और यह एक सस्ती दवा भी है. अधिकांश रोगियों को 1 डोलो टैबलेट से ज्यादा की जरूरत भी नहीं होती.”

सीड फंड वेंचर हाईवे के निवेशक अविरल भटनागर ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा, “डोलो 650 एक स्लीपर हिट है. महामारी में 3.5 अरब गोलियां बेची गईं. एक दवा की 600 करोड़ रुपये की बिक्री मायने रखती है. निर्माता कंपनी माइक्रो लैब्स 2,700 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित कर रही है, जिससे सुराणा परिवार की संपत्ति 2 अरब डॉलर से अधिक हो गई है.”

(With IANS Inputs)

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Published Date: January 21, 2022 8:19 AM IST