
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
Economic Survey: संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 (Economic Survey 2021-22) में कहा गया है कि सरकार के पास समर्थन बनाए रखने और जरूरत पड़ने पर पूंजीगत खर्च बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है. राजस्व में मजबूत पुनरुद्धार सरकार को आवश्यक होने पर अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय स्थान भी प्रदान करता है.
अर्थव्यवस्था को दिए गए वित्तीय समर्थन के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के कारण 2020-21 में राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज बढ़ गया.
हालांकि, 2021-22 में अब तक सरकारी राजस्व में जोरदार उछाल देखने को मिला है. अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियों में 67.2 प्रतिशत (साल दर साल) की वृद्धि हुई है, जबकि 2021-22 के बजट अनुमानों में 9.6 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि हुई है.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के करों के लिए कर संग्रह में उछाल आया है. जुलाई 2021 से सकल मासिक जीएसटी संग्रह लगातार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है.
निरंतर रेवेन्यू कलेक्शन और सरकार द्वारा लक्षित व्यय नीति के कारण, अप्रैल-नवंबर 2021 के लिए राजकोषीय घाटा बजट अनुमान (बीई) के 46.2 प्रतिशत पर समाहित किया गया है, जो कि इसी अवधि के दौरान प्राप्त अनुपात का लगभग एक तिहाई है. यह पिछले दो वर्षो में (अप्रैल-नवंबर2020 में बीई का 135.1 प्रतिशत और अप्रैल-नवंबर 2019 में बीई का 114.8 प्रतिशत) है.
अप्रैल से नवंबर 2021 की अवधि के दौरान प्राथमिक घाटा अप्रैल से नवंबर 2019 के दौरान अपने स्तर से लगभग आधा हो गया.
सर्वेक्षण में कहा गया है, “इसका मतलब यह है कि सरकार के पास समर्थन बनाए रखने और जरूरत पड़ने पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है. यदि आवश्यक हो तो राजस्व में मजबूत पुनरुद्धार सरकार को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए राजकोषीय स्थान भी प्रदान करता है.”
(With IANS Inputs)
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें