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Import Duty Hike: पिछले पांच साल में 40 फीसदी वस्तुओं पर बढ़ा आयात शुल्क

Import Duty Hike: पिछले पांच साल में आयात शुल्क 40 फीसदी वस्तुओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि वर्ष 2010 तक हर पांच साल की अवधि के दौरान 60 से 70 प्रतिशत वस्तुओं के आयात शुल्क में कटौती देखी जाती थी.

Updated: February 3, 2022 10:27 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

ASSOCHAM proposes government to increase income tax exemption limit from Rs 2.5 lakh to Rs 5 lakh
ASSOCHAM proposes government to increase income tax exemption limit from Rs 2.5 lakh to Rs 5 lakh

Import Duty Hike: विगत पांच साल के दौरान करीब 40 फीसदी वस्तुओं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी (Import Duty Hike) दर्ज की गयी है, जबकि वर्ष 2010 तक हर पांच साल की अवधि के दौरान 60 से 70 प्रतिशत वस्तुओं के आयात शुल्क में कटौती देखी जाती थी.

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क्रेडिट सुइस ने केंद्रीय बजट (Union Budget) पर अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि वर्ष 2010 तक 60 से 70 फीसदी टैरिफ लाइन में कटौती देखी जाती थी, लेकिन उसके बाद इसमें बदलाव हो गया है. वर्ष 2020 में कृषि, कपड़ा, धातु और वाहन आदि के समूह में आयात शुल्क में कमी दर्ज की गयी. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जो सरकार के रडार पर हैं और यह इस बात से पता चलता है कि पिछले कुछ साल के दौरान या तो उन पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया या उन्हें इसके दायरे में लाया गया.

वित्त वर्ष 22 में व्यय में अधिकतर तेजी कोरोना संकट के कारण है जैसे, खाद्य अनुदान, मनरेगा के व्यय में बढ़ोतरी और कोविड टीकाकरण. रिपोर्ट में उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाये जाने की मांग की गयी है. सरकार ने कई सब्सिडी और प्रोत्साहनों के बकाये को भी चुकाया है जैसे निर्यात.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 22 में बजट में आवंटित ग्रामीण और खाद्य सब्सिडी पर व्यय में कमी आयेगी. कोविड राहत से संबंधित प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण और मनरेगा के आवंटन के कारण व्यय में आयी तेजी को कम किया जा रहा है. निम्न आयवर्ग की उपभोग क्षमता फिलहाल गौण है और इसमें तेजी कम आय वाले रोजागर के सृजन और आर्थिक सुधार पर निर्भर है.

बजट में एलपीजी गैस सब्सिडी के प्रावधान में कमी है. वित्त वर्ष 22 में यह सब्सिडी 125 अरब रुपये से घटकर मात्र 34 अरब रुपये रह गयी है. तेल विपणन कंपनियों को वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में एलपीजी में 60 अरब रुपये का घाटा हुआ है. वित्त वर्ष 23 में एलपीजी सब्सिडी के लिए 40 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 22 में कोविड-19 वैक्सीन के मद में आवंटित 350 अरब रुपये से घटकर वित्त वर्ष 23 में 50 अरब रुपये रह गयी है. यह कटौती वैक्सीन खरीद में आयी कमी की वजह से है. कोविड वैक्सीन के लिए यह आवंटन मुख्य रूप से बूस्टर डोज और बच्चों के टीकाकरण के लिए है.

सालाना आधार पर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना,अमृत और स्मार्ट सिटी जैसी योजनाओं के आवंटन लगभग समान रहा.

केंद्र और राज्य को मिलाकर जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यय कम जीडीपी और कोरोना संकट के कारण वित्त वर्ष 21 में अधिक रहा. वित्त वर्ष 23 में सरकार की चुनौती व्यय को कम करने की होगी.

(With IANS Inputs)

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Published Date: February 3, 2022 10:26 AM IST

Updated Date: February 3, 2022 10:27 AM IST