रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी! घर से नहीं लाने होंगे अब ये सामान, अगले महीने तक सभी ट्रेनों में मिलने लगेगी यह सुविधा

Indian Railways: रेल यात्रियों के लिए खुखबरी आ रही है. घर से आपको अब ये सामान नहीं लाने होंगे. अगले महीने तक सभी ट्रेनों में कंबल, तकिया और चादरें मिलने लगेंगी. रेल मंत्रालय के मुताबिक, रोजाना करीब 7.5 लाख तकिया, चादर, कंबल आदि की जरूरत होती है. चादरों का जीवन एक वर्ष है. करीब दो साल से उपयोग नहीं होने से कई चादरें क्षतिग्रस्त हो गईं.

Updated: May 19, 2022 1:34 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

What is the meaning of five numbers written on the coach of train?
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Indian Railways: रेल यात्रियों को अगले महीने तक सभी ट्रेनों में कंबल, चादर और तकिया की सुविधा मिलने लगेगी. यानी एसी क्लास में सफर करने वाले यात्रियों को घरों से कंबल, तकिए ले जाने की जरूरत नहीं होगी. भारतीय रेलवे ने सभी जोनों को यात्रियों को यह सुविधा जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल यह सुविधा 529 जोड़ी ट्रेनों में शुरू की गई है और कुल 1114 जोड़ी ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जानी है.

बता दें, भारतीय रेलवे ने कोरोना के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए ट्रेनों से तकिया, चादर और कंबल की सुविधा बंद कर दी थी. इतना ही नहीं एसी क्लास से परदे भी हटा दिए गए थे, लेकिन अब कोरोना संक्रमण कम होने के बाद रेलवे ने फिर से यह सुविधा शुरू कर दी है.

रेल मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना से पहले प्रीमियम ट्रेनों के अलावा मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों समेत 1700 जोड़ी से ज्यादा ट्रेनें चलती थीं. इन ट्रेनों में से 1114 जोड़ी ट्रेनों में तकिया, चादर, कंबल आदि की सुविधा दी जानी है. फिलहाल 529 जोड़ी ट्रेनों में यह सुविधा चालू कर दी गई है और बाकी 585 ट्रेनों में यह सुविधा अगले महीने उपलब्ध करा दी जाएगी.

इसके साथ ही एसी क्लास में पर्दे भी दोबारा लगाए जा रहे हैं. 1308 जोड़ी ट्रेनों में पर्दे लगाए जाने हैं, जिनमें से 1225 जोड़ी लगाई जा चुकी हैं और बाकी 83 ट्रेनों को भी जल्द कवर किया जाएगा.

सभी ट्रेनों में चादर, तकिया मिलने में हो रही देरी

रेल मंत्रालय के मुताबिक, रोजाना करीब 7.5 लाख तकिया, चादर, कंबल आदि की जरूरत होती है. चादरों का जीवन एक वर्ष है. करीब दो साल से उपयोग नहीं होने से कई चादरें क्षतिग्रस्त हो गईं. इसके अलावा कोरोना की पहली लहर में ट्रेनों में कोविड कोच बनाए गए और बड़ी संख्या में मास्क बनाए गए.

इनमें चादरों का प्रयोग किया जाता था. सरकार द्वारा 10 मार्च को सुविधा बहाल करने के आदेश के बाद 40 प्रतिशत चादरें ही स्टॉक में थीं. अब फिर से चादरें खरीदी जा रही हैं. इसके लिए डीआरएम को बिजली दी गई है, ताकि वे जरूरत के मुताबिक चादर आदि खरीदकर यह सुविधा मुहैया करा सकें.

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