
अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति घटकर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान : रिजर्व बैंक
RBI Policy: रिजर्व बैंक ने आज द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के फैसलों का एलान करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति घटकर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को अगले वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति नरम पड़कर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान जताया. चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.5 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान है.
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चालू वित्त वर्ष का अनुमान केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर दो प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य से अधिक है.
रिजर्व बैंक ने बुधवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा कि ‘आयातित’ महंगाई कम रहने से अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी. हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है. हालांकि, आरबीआई के इस कदम से सभी तरह से लोन मंहगे होने के आसार हैं.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था. सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट तथा भारत की कच्चे तेल की खरीद 95 डॉलर प्रति बैरल रहने के आधार पर केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को कम किया है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘आगे चलकर 2023-24 में मुद्रास्फीति नीचे आएगी. हालांकि, यह चार प्रतिशत से ऊपर रहेगी. मुद्रास्फीति का परिदृश्य भू-राजनीतिक तनाव की वजह से पैदा हुई अनिश्चितताओं, वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, गैर-तेल जिंसों की कीमतों में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होगा.’’
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अन्य समकक्ष मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपये में कम उतार-चढ़ाव की वजह से ‘आयातित’ महंगाई का दबाव कम होगा.
दास ने कहा, ‘‘भारत की कच्चे तेल की खरीद औसतन 95 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान के आधार पर 2022-23 में मुद्रास्फीति के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. मानसून सामान्य रहने पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.3 प्रतिशत रहेगी. पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत, दूसरी में 5.4 प्रतिशत, तीसरी में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में यह 5.6 प्रतिशत रहेगी. महंगाई को लेकर जोखिम दोनों तरफ बराबर है.’’
(With agency inputs)
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