
व्यापार आधारित बुनियादी ढांचे में निवेश से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा: क्रिसिल
रेटिंग एजेसी क्रिसिल ने दावा किया है कि व्यापार आधारित बुनियादी ढांचे में निवेश से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. भारत को समग्र व्यापारिक व्यापार में औद्योगिक या निवेश की हिस्सेदारी में हाल ही में देखी गई वृद्धि को समेकित करने की भी आवश्यकता है.

वैश्विक रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि व्यापार आधारित बुनियादी ढांचे में निवेश संबंधी बजटीय आबंटन से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. बजट में जहाजरानी और सामान की आवाजाही के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देने से समय और गैर-टैरिफ लागत को कम करने में मदद मिलेगी.
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क्रिसिल रिसर्च ने कहा वैश्विक वृद्धि दर में भारत के निर्यात की अहम भूमिका रही है लेकिन जब इसमें कमी आती है जो इस वर्ष अपेक्षित है तो निर्यात के वल बाहरी मांग पर ही निर्भर नहीं रह सकता है. भारत को समग्र व्यापारिक व्यापार में औद्योगिक या निवेश की हिस्सेदारी में हाल ही में देखी गई वृद्धि को समेकित करने की भी आवश्यकता है. इन दोनों से निपटने के लिए शिपिंग और माल की आवाजाही के बुनियादी ढांचे के विकास पर बजटीय आबंटन में ध्यान देने से समय और गैर-टैरिफ लागत को कम करने में मदद मिलेगी.
इसके अलावा, निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी ढांचे के तहत परिकल्पित ‘अनुदान-सहायता’ के रूप में बजटीय आवंटन में बढ़ोत्त्तरी निर्यात-उन्मुख परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के संबंध में अपने उद्देश्य को हासिल करेगी.
क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि इसके अलावा बजट का एक अन्य केंद्र बिंदु निर्यात के लिए वित्त और बीमा कवर की सुविधा होना चाहिए.
वित्त मंत्रालय ने पिछले साल, बजट के बाद, वित्त वर्ष 2022-26 की अवधि में 33,000 करोड़ रुपये के परियोजना निर्यात को मंजूरी के लिए राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाते (एनईआईए) के लिए 1,650 करोड़ रुपये की ‘अनुदान सहायता’ की घोषणा की थी.
एनईआईए का उद्देश्य परियोजना निर्यात के लिए ऋण जोखिम कवर की उपलब्धता सुनिश्चित करना है.
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार,इस मोर्चे पर इस साल प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही है . एनईआईए ने मई-अगस्त 2021 के बीच 58 करोड़ रुपये का बीमा कवर जारी करके केवल 91.4 करोड़ रुपये के निर्यात को सहारा दिया था . इस पहल को परियोजना निर्यात का समर्थन करने के कदम की घोषणा के माध्यम से गति दी जा सकती है. इसके अलावा बजट में चीन-प्लस-वन नीति के अवसर पर ध्यान देना चाहिए. इसका लाभ उठाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक निर्यात पर निरंतर ध्यान देना महत्वपूर्ण होगा.
इसके लिएउत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना एक अच्छा प्रारंभिक बिंदु है.
इस प्रकार, व्यापारिक निर्यात के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक गंभीर प्रयास की शुरूआत की आवश्यकता है. यह इस बुनियादी ढांचे पर खर्च, टैरिफ लागत में कमी, और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए क्रेडिट जोखिम कवर में वृद्धि के उपायों को शुरू करके हासिल किया जा सकता है.
(With IANS Inputs)
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