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क्या श्रीलंका की तरह होने जा रहा नेपाल की अर्थव्यवस्था का हाल, पूर्व गवर्नर ने कही ये बड़ी बात
नेपाल राष्ट्र बैंक के पूर्व गवर्नर दीपेंद्र बहादुर छेत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था श्रीलंका की तरह नहीं है, लेकिन उसी राह पर जा सकती है.
काठमांडु: नेपाल राष्ट्र बैंक के पूर्व गवर्नर दीपेंद्र बहादुर छेत्री ने कहा कि अगर देश के राजनीतिक अधिकार श्रीलंका की तरह गलत व्यक्तियों को दे दिए जाएं तो यहां की अर्थव्यवस्था भी उसकी राह पर जा सकती है. रिपब्लिका की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था श्रीलंका की तरह नहीं है लेकिन इसके अगले श्रीलंका बनने की संभावना है.
छेत्री ने कहा कि श्रीलंका की मौजूदा हालत एक ही परिवार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री होने के कारण लगाए गए मनमाने करों का नतीजा है. उन्होंने कहा कि नेपाल को श्रीलंका के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि यहां अभी हाल में ही स्थनीय चुनाव हुए हैं और यह संसदीय तथा प्रांतीय चुनाव कराने की तैयारी में है. छेत्री ने बताया कि नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार सात माह के आयात बिल को भरने के लिए काफी है.
बता दें कि श्रीलंका का आर्थिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. पड़ोसी देश में लोग खाने-पीने की चीजों के लिए परेशान हो रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. हालात ऐसे हैं कि सरकार को कई ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं, जिनकी वजह से जनता की मुसीबतें और बढ़ रही हैं. देश में पेट्रोल-डीजल आदि ईंधन की बड़ी किल्लत हो गई है. ऐसे में सरकार ने सोमवार से देशभर के स्कूलों में एक हफ्ते की छुट्टी देने का फैसला किया है. यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक श्रीलंका में पचास लाख लोग यानी कुल जनसंख्या के 22 फीसद लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है.
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