Top Recommended Stories

MEDICINE PRICE HIKE: 1 अप्रैल से बढ़ सकते हैं 800 जरूरी दवाओं के दाम, जानें- क्यों बढ़ रहें दवाओं के दाम?

MEDICINE PRICE HIKE: 1 अप्रैल से 800 जरूरी दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं. दवाओं के दामों में बढ़ोतरी व्यापारियों के लिए चिंता का विषय बन गई है. दिल्ली ड्रग ट्रेडर एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर के मुताबिक, 'पहले से ही दवाएं महंगी हैं और वह भी 1 अप्रैल से दवाओं के दाम में 10 फीसदी की बढ़ोतरी का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.

Published: March 29, 2022 11:52 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

MEDICINE PRICE HIKE: 1 अप्रैल से बढ़ सकते हैं 800 जरूरी दवाओं के दाम, जानें- क्यों बढ़ रहें दवाओं के दाम?
What are the 3 most common causes of fatty liver disease?

MEDICINE PRICE HIKE: आम आदमी के लिए एक और झटका, 1 अप्रैल से जरूरी, जीवन रक्षक दवाएं अभी तक महंगी नहीं हुई हैं. नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पहले कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में 2020 में इसी अवधि की तुलना में 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी.

Also Read:

इस वृद्धि के साथ, आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल लगभग 800 अनुसूचित दवाओं की लागत अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से 10.7 प्रतिशत बढ़ जाएगी.

एनपीपीए नोटिस में कहा गया है, “आर्थिक सलाहकार, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए डब्ल्यूपीआई आंकड़ों के आधार पर, डब्ल्यूपीआई में वार्षिक परिवर्तन कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान 2020 में इसी अवधि की तुलना में 10.76607% के रूप में काम करता है.”

किन दवाओं के दाम बढ़ने की संभावना?

एनपीपीए के आदेश के अनुसार, बुखार, हृदय रोग, संक्रमण, त्वचा रोग, उच्च रक्तचाप और एनीमिया के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की कीमत 1 अप्रैल से बढ़ाई जाएगी. इनमें पैरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फेनिटोइन सोडियम, एज़िथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसी दवाएं शामिल हैं. हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाजोल.

क्यों बढ़ रहे हैं दवाओं के दाम?

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर कृष्णनाथ मुंडे ने एक प्रमुख समाचार आउटलेट से बात करते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग चीन से आने वाले इनपुट की बढ़ती लागत से जूझ रहा है. इनमें माल ढुलाई और पैकेजिंग सामग्री शामिल है. महामारी के बीच परिवहन लागत भी बढ़ गई है.

भारतीय फार्मा उद्योग को अपने थोक दवा कच्चे माल का लगभग 70 प्रतिशत चीन से मिलता है. आपूर्ति में कटौती के कारण उद्योग अब लागत दबाव का सामना कर रहा है.

डीएनए में प्रकाशित खबर के मुताबिक, दवाओं के दामों में बढ़ोतरी व्यापारियों के लिए चिंता का विषय बन गई है. दिल्ली ड्रग ट्रेडर एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर के मुताबिक, ‘पहले से ही दवाएं महंगी हैं और वह भी 1 अप्रैल से दवाओं के दाम में 10 फीसदी की बढ़ोतरी का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. हम थोक विक्रेता हैं, और अगर हमें उच्च कीमतों पर दवाएं मिलती हैं, तो खुदरा विक्रेता अंततः उच्च कीमत पर दवाएं बेचेंगे. केमिस्ट ग्राहक को खरीदारी पर छूट नहीं दे सकेंगे.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.