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1 जुलाई से लागू हो सकते हैं नए श्रम कानून, काम के घंटे, वेतन, पीएफ में हो सकते हैं बड़े बदलाव

New Labor Laws 2022: केंद्र सरकार 1 जुलाई से नए श्रम कानून लागू कर सकती है. काम के घंटे, वेतन, पीएफ में बड़े बदलाव हो सकते हैं. इससे सभी उद्योगों और क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो सकते हैं. कर्मचारियों के काम के घंटे, भविष्य निधि से लेकर वेतन संरचना तक, इन सबमें बड़े बदलाव हो सकते हैं.

Updated: June 24, 2022 9:42 AM IST

By Manoj Yadav

(Symbolic Image)
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Labour Laws 2022: इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार नए श्रम कानून 1 जुलाई 2022 से लागू कर सकती है. इससे सभी उद्योगों और क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो सकते हैं. कर्मचारियों के काम के घंटे, भविष्य निधि से लेकर वेतन संरचना तक, इन सबमें बड़े बदलाव हो सकते हैं.

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हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है. नए श्रम कानूनों का मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा (पेंशन, ग्रेच्युटी), श्रम कल्याण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम करने की स्थिति (महिलाओं सहित) पर प्रभाव पड़ेगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, मणिपुर, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों सहित 23 राज्यों ने नए श्रम कानूनों के तहत नियम बनाए हैं.

इन राज्यों ने मजदूरी 2019 पर नए कोड और औद्योगिक संबंध कोड 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड 2020 के आधार पर राज्य श्रम कोड और नियम तैयार किए हैं, जो सभी द्वारा पारित किए गए हैं.

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काम करने के घंटे

सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों के काम के घंटों में भारी बदलाव आएंगे. वर्तमान में, कारखानों और ऐसे अन्य कार्यस्थलों में श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम के घंटे फैक्ट्री अधिनियम, 1948 पर आधारित हैं. जबकि यह कार्यालय कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के लिए प्रत्येक राज्य के दुकान और स्थापना अधिनियम द्वारा शासित होता है.

नए श्रम कानूनों के अनुसार, दैनिक काम के 12 घंटे और साप्ताहिक काम के घंटे 48 घंटे तय किए गए हैं. इसका मतलब है कि कंपनियां/कारखाने इसे चार दिन का कार्य सप्ताह बना सकते हैं. सभी उद्योगों में एक तिमाही में ओवरटाइम 50 घंटे से बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है.

कर्मचारियों की वेतन संरचना

नए श्रम कानूनों का सुझाव है कि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ग्रास सैलरी का कम से कम 50% होना चाहिए. जिससे कर्मचारियों का ईपीएफ खातों में योगदान बढ़ जाएगा और ग्रैच्युटी कटौती भी बढ़ेगी जिससे अधिकांश कर्मचारियों के घर ले जाने के वेतन में कमी आएगी.

छुट्टियों की संख्या

एक साल में छुट्टी की संख्या वही रहेगी, लेकिन कर्मचारियों को अब 45 के बजाय हर 20 दिनों के काम पर छुट्टी मिलेगी, जो एक अच्छी खबर है. इसके अलावा, नए कर्मचारी 240 दिनों के काम के बजाय 180 दिनों के रोजगार के बाद अवकाश अर्जित करने के पात्र होंगे जैसा कि अभी लागू है.

भविष्य निधि योगदान

एक और बड़ा बदलाव जो नए श्रम कानून के तहत आने वाला है, वह है टेक होम सैलरी और कर्मचारियों और नियोक्ता के प्रॉविडेंट फंड में योगदान का अनुपात. कर्मचारी का मूल वेतन सकल वेतन का 50% होना चाहिए. कर्मचारी और नियोक्ता का पीएफ योगदान बढ़ेगा, टेक होम सैलरी घटेगी, खासकर निजी क्षेत्रों में काम करने वालों की.

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