
Old Pension Scheme: हरियाणा के CM बोले, अगर पुरानी पेंशन योजना की गई बहाल, तो 2030 तक दिवालिया हो जाएगा देश
Old Pension Scheme: हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि अगर पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाता है, तो भारत 2030 तक दिवालिया हो जाएगा.

Old Pension Scheme: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक ‘व्हाट्सएप’ संदेश का हवाला देते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS) की कमियों के बारे में बोला है. मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने कहा कि कल मुझे व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला जिसमें केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि अगर पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू होती है तो देश 2030 तक दिवालिया हो जाएगा.
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कल मुझे व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला जिसमें केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यदि पुरानी पेंशन योजना को लागू की जाती है तो देश 2030 तक दिवालिया हो जाएगा: चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (02.02) pic.twitter.com/t1rIeVh0xi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 2, 2023
खट्टर ने आगे कहा कि 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पुरानी पेंशन योजना का विरोध किया था. सीएम खट्टर ने कहा कि मनमोहन सिंह एक महान अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने 2006 में कहा था कि पुरानी पेंशन योजना भारत को पिछड़ा बना देगी, क्योंकि इस योजना का दृष्टिकोण अदूरदर्शी है.
#WATCH | “Yesterday I got a message on Whatsapp where a Central govt official said that if the Old Pension Scheme (OPS) is implemented then the country will go bankrupt by 2030,” says Haryana CM Manohar Lal Khattar in Chandigarh(02.02) pic.twitter.com/d2RmHFaZjR
— ANI (@ANI) February 2, 2023
बता दें, हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने पर चेतावनी दी थी, यह कहते हुए कि यह “उप-राष्ट्रीय राजकोषीय क्षितिज” पर एक बड़ा जोखिम पैदा करता है और इसके परिणामस्वरूप आने वाले वर्षों में अनफंडेड देनदारियों का संचय होगा.
इससे पहले, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र सरकार और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को सूचित किया था.
पंजाब सरकार ने 18 नवंबर, 2022 को भी राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी, जो वर्तमान में एनपीएस के तहत कवर किए जा रहे हैं.
2004 में, केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना की जगह एक परिभाषित अंशदान पेंशन योजना, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) लेकर आई.
गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को निर्धारित पेंशन मिलती है. इसके तहत, एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन की 50% राशि का हकदार होता है.
हालांकि, पेंशन राशि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदायी है, जो 2004 से प्रभावी है.
कई अर्थशास्त्रियों ने भी ओपीएस की ओर लौटने पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ेगा.
तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने हाल ही में ओपीएस को वापस लाने के खिलाफ बोलते हुए कहा था कि यह सबसे बड़े ‘रेवड़ियों’ में से एक है.
2022-23 के लिए, आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों ने राजस्व खर्च में वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो मुख्य रूप से गैर-विकासात्मक व्यय जैसे पेंशन और प्रशासनिक सेवाओं के कारण होता है.
आरबीआई की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राकृतिक आपदाओं के लिए बजट आवंटन कम कर दिया गया है, जबकि आवास परिव्यय में वृद्धि की गई है.
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