By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बोले- 'महंगाई का बुरा दौर पीछे छूटा'
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को कहा कि महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट चुका है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को कहा कि महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट चुका है. उन्होंने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगे कई झटकों, यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में कड़ी मौद्रिक नीति के बावजूद ऐसा है. उन्होंने यह भी कहा कि डॉलर की जोरदार मजबूती के बावजूद रुपये ने दूसरी मुद्राओं के मुकाबले सबसे कम अस्थिरता का प्रदर्शन किया है. दास ने कोच्चि में 17वें के पी होर्मिस (फेडरल बैंक के संस्थापक) स्मारक व्याख्यान में कहा कि कुछ महीने पहले वैश्विक मंदी के बारे में अत्यधिक चिंताओं के बावजूद, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने अधिक जुझारूपन दिखाया है. गवर्नर ने कहा कि वैश्विक वृद्धि में गिरावट का रुख है.
Trending Now
मुद्रास्फीति के कारकों में होने वाले संरचनात्मक बदलावों के बारे में भी काफी अनिश्चितता है. इनमें श्रम बाजार की गतिशीलता से लेकर बाजार की शक्ति का केंद्रीकरण और कम कुशल आपूर्ति श्रृंखला शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि भरोसा पैदा करने वाले पहलू भी हैं, जैसे वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और अन्य जिंसों की कीमतें अपने ऊपरी स्तर से घट गई हैं. साथ ही आपूर्ति श्रृंखला सामान्य हो रही है. ऐसे में आयातित मुद्रास्फीति काबू में होनी चाहिए.
भारत की जी20 अध्यक्षता के बीच कई उभरते संकटों को दूर करने में उसकी भूमिका पर दास ने कहा कि देश को यह भूमिका ऐसे वक्त में मिली है, जब भू-आर्थिक बदलाव काफी कठिन हैं, जिन्होंने वैश्विक व्यापक वित्तीय संभावनाओं को बिगाड़ दिया है. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गंभीर आपूर्ति-मांग असंतुलन है और लगभग सभी देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है. इसने जटिल नीतिगत चुनौतियां पेश की हैं.
उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट जी20 के लिए अवसर भी है और परीक्षा का वक्त भी है. दास ने IMF का हवाला देते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध के साथ भू-राजनीति की जगह अब भू-अर्थशास्त्र ने ले ली है. इसके कारण, वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भू-आर्थिक विखंडन की प्रक्रिया का सामना कर रही है. ऐसा पांच प्रमुख माध्यमों – व्यापार, प्रौद्योगिकी, पूंजी प्रवाह, श्रम गतिशीलता और वैश्विक शासन के जरिये हो रहा है.
(इनपुट: भाषा)
Also Read:
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें Business Hindi की और अन्य ताजा-तरीन खबरें