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गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रीपेड भुगतान उपकरणों के लेनदेन में वृद्धि से पेटीएम के लिए वॉलेट लेनदेन और राजस्व में अपेक्षित वृद्धि हो सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 24 जून को अपनी ‘पेमेंट्स विजन 2025’ रिपोर्ट जारी की, जो भारतीय डिजिटल भुगतान उद्योग के लिए आगे के रास्ते के बारे में बात करती है. इससे डिजिटल भुगतान को बड़ा बढ़ावा मिला है, जो पेटीएम जैसे सूचीबद्ध प्लेयर्स के लिए सकारात्मक होगा.
आरबीआई को डिजिटल भुगतान लेनदेन में 3 गुना से अधिक वृद्धि, पीपीआई (प्रीपेड भुगतान साधन) लेनदेन में 150 प्रतिशत की वृद्धि, भुगतान लेनदेन कारोबार में जीडीपी की तुलना में 8 तक की वृद्धि, पीओएस पर डेबिट कार्ड लेनदेन में 20 प्रतिशत की वृद्धि, कार्ड स्वीकृति के बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर 250 लाख, मोबाइल आधारित लेनदेन के लिए रजिस्टर्ड ग्राहक आधार में 50 प्रतिशत सीएजीआर और अधिक की वृद्धि की उम्मीद है.
यह समग्र विकास पेटीएम के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इसने खुद को यूपीआई से परे स्थापित किया है और एक पूर्ण स्टैक भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है. पेटीएम ने भारत को डिजिटल वॉलेट और क्यूआर कोड से परिचित कराया है. इसके पास कई फ्लिेक्सिबल भुगतान साधन जैसे- पेटीएम वॉलेट, पेटीएम यूपीआई, पेटीएम पोस्टपेड (अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें), डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेटबैंकिंग और ईएमआई और स्मार्ट पीओएस और साउंडबॉक्स जैसे उपकरणों के साथ ऑफलाइन भुगतान बाजार में भी यह अग्रणी है.
गोल्डमैन सैच्स की 19 जून की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वित्त वर्ष 2025 (वॉलेट प्लस कार्ड) में लेनदेन के मूल्य में 98 बिलियन डॉलर जबकि वित्त वर्ष 2022 में 39 बिलियन डॉलर का अनुवाद करेगा. इसके अतिरिक्त, यह उम्मीद की जा रही है कि पूर्ण केवाईसी वॉलेट केवल यूपीआई रेल पर होंगे, जहां पेटीएम एक मार्केट लीडर है.
रिपोर्ट में कहा गया, “हम ध्यान दें कि वित्त वर्ष 2022 में डिजिटल वॉलेट ने कुल पीपीआई लेनदेन मूल्य का 77 प्रतिशत हिस्सा बनाया, एक ऐसा खंड जहां पेटीएम की 67 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी (अप्रैल 2022) है. हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 में पेटीएम के भुगतान राजस्व का लगभग एक तिहाई वॉलेट बना है और वॉलेट लेनदेन में उम्मीद से अधिक वृद्धि बाजार के लीडर पेटीएम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है.”
आरबीआई की दृष्टि में यह भी कहा गया है कि फिनटेक क्षेत्र के लिए नियमों में वृद्धि होगी.
हालांकि, सूचीबद्ध होने वाली पेटीएम जैसी कंपनियों को पहले से ही नियामक उपायों और डिजिटल बैंकिंग दिशानिर्देर्शो का पालन करने की जानकारी है.
इसलिए, हालांकि यह उद्योग के लिए हानिकारक हो सकता है, लेकिन पेटीएम के लिए यह महत्वहीन हो सकता है.
(With IANS Inputs)
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