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Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह से हो सकती है प्रभावित?

Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा. अगर युद्ध होता है तो भारत के आयात-निर्यात पर खासा असर देख जा सकता है. रक्षा सौदों पर असर हो सकता है. साथ ही कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल देखा जा सकता है.

Updated: February 22, 2022 12:34 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह से हो सकती है प्रभावित?

Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन तनाव अगले स्तर तक बढ़ने के साथ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मंगलवार को संघर्ष को रोकने के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलाई. समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक शांति निकाय के राजनीतिक प्रमुखों द्वारा आपातकालीन हडल बुलाई जिसमें पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुहान्स्क की रूस की मान्यता की निंदा की गई.

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समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी प्रतिनिधि ने दो क्षेत्रों को मान्यता देने के लिए रूस पर निशाना साधा, पुतिन के दावों को खारिज कर दिया कि उनका देश डोनेट्स्क और लुहान्स्क में शांति सैनिकों की भूमिका निभाएगा. इस तरह से अमेरिका और रूस के बीच वार्ता में प्रगति की कमी के कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई. साथ ही इस अनिश्चितता के कारण कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.

अनाज के प्रवाह में किसी भी तरह की रुकावट से बढ़ेगी महंगाई

काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में किसी भी तरह की रुकावट का कीमतों पर और आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति पर एक बड़ा प्रभाव पड़ने की आंशका है. चार प्रमुख निर्यातक – यूक्रेन, रूस, कजाकिस्तान और रोमानिया – काला सागर में बंदरगाहों से अनाज भेजते हैं जो किसी भी सैन्य कार्रवाई या प्रतिबंधों से व्यवधान का सामना कर सकते हैं.

प्राकृतिक गैस और तेल के बढेंगे दाम

यदि तनाव संघर्ष में बदल जाता है तो ऊर्जा बाजार प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. यूरोप अपनी प्राकृतिक गैस के लगभग 35% के लिए रूस पर निर्भर है, जो ज्यादातर पाइपलाइनों के माध्यम से आती है जो बेलारूस और पोलैंड को जर्मनी से पार करती है.

97 डॉलर के पार पहुंचा कच्चा तेल

इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कच्चे पेट्रोलियम की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहने की उम्मीद है. पिछले एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से क्रूड की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रही हैं. जिसका प्रमुख कारण यूक्रेन और रूस के बीच तनाव रहा है. कच्चे तेल की कीमतें आज सात साल के उच्च स्तर यानी 97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं.

पश्चिम के साथ रूसी संघर्ष के व्यापारिक प्रभाव

यदि रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता है और अमेरिका और उसके अन्य नाटो सहयोगियों के बीच एक बड़ा संघर्ष होता है, तो यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरिका और अन्य उन्नत देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे. अक्सर, ये प्रतिबंध एक आक्रमणकारी के साथ व्यापार करने वाले देशों के लिए भी लागू होते हैं.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर होगा असर?

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) डेटाबेस के डेटा से पता चलता है कि जब भारत के साथ व्यापार की बात आती है तो रूस का महत्व घट रहा है. सोवियत संघ के पतन से पहले, रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य था और भारत के कुल निर्यात में इसका लगभग 10% हिस्सा था. 2020-21 तक यह संख्या घटकर 1% से भी कम हो गई है. निश्चित तौर पर इस अवधि में भारत के कुल व्यापार में वृद्धि हुई है. 2020-21 में भारत के कुल आयात में रूसी आयात की हिस्सेदारी 1.4% थी.

रूसी निर्यात पर प्रतिबंध से भारत की रक्षा जरूरतों पर पड़ेगा असर

रूसी निर्यात पर प्रतिबंध भारत की रक्षा आवश्यकताओं के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा मार्च 2021 की फैक्टशीट के अनुसार, 2016-2020 में रूस दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक हथियार निर्यातक था और भारत इसका सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था, जो रूसी रक्षा निर्यात का 23% हिस्सा था.

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