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Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच क्या भारत में और बढ़ेगी महंगाई, जानें- यहां

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उबाल आता हुआ देखा जा रहा है. कच्चे तेल के दाम बढ़ने से आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के रेट्स में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. जिससे महंगाई और बड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

Published: February 24, 2022 1:01 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

WPI Decreases in November 2022.
WPI Decreases in November 2022.

Russia Ukraine War: रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के कई शहरों पर मिसाइल दागने के बाद निवेशकों ने जोखिम भरी संपत्तियों से निकलना शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से शेयर बाजार में गुरुवार को तीन फीसदी की गिरावट आते हुए देखी गई है. साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी आते हुए देखी गई है, जिससे महंगाई की चिंता बढ़ती जा रही है.

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ब्लू-चिप एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 2.43 फीसदी की गिरावट के साथ 16,649.30 पर और एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 2.50 फीसदी या 1,431.16 की गिरावट के साथ 55,800.90 पर कारोबार करते हुए दिखाई दिए. दोनों सूचकांकों में मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आते हुए देखी गई है. शेयर बाजार में लगातार सातवें दिन गिरावट देखी जा रही है.

रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव

तमाम समाचार एजेंसियों से आ रही रिपोर्टों से अब यह युद्ध का खतरा नहीं रहा. बल्कि रूसे ने यूक्रेन पर एकतरफा हमला कर दिया है. अब यह एक वास्तविकता बन गया है. इसके पहले जो भी बातें की जा रही थीं, वे संभावित युद्ध की खबरों के बारे में बातें की जा रही है. लेकिन अब रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू दिया है तो सबसे खराब संभावित प्रभाव के बारे में बात करें तो कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि होगी, जिसका भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है.

आगे क्या है?

निफ्टी का वोलैटिलिटी इंडेक्स, जो निफ्टी 50 में अगले 30 दिनों में कारोबारियों द्वारा अपेक्षित उतार-चढ़ाव की ओर इंगित करता है, वह जून 2020 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर चढ़ गया.

कच्चा तेल 100 डॉलर के पार

2014 यानी आठ साल के बाद पहली बार तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया, क्योंकि इस बात की चिंताएं बढ़ गईं कि यूरोप में युद्ध वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. कच्चे तेल की बढ़ती वैश्विक कीमतें उपभोक्ताओं को काफी अधिक नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसके अलावा देश के चालू खाते के घाटे को भी बढ़ा रही हैं.

मुंबई में, निफ्टी के प्रमुख उप-सूचकांक ऑटो इंडेक्स NIFTYAUTO, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इंडेक्स NIFTYPSU और एनर्जी इंडेक्स NIFTYENR के साथ निगेटिव जोन में थे. प्रत्येक में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई.

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Published Date: February 24, 2022 1:01 PM IST