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World Bank: मंदी से उबर रही है ग्लोबल इकोनॉमी, 2021 में 4 फीसदी की दर से बढ़ेगी आगेः वर्ल्ड बैंक

World Bank: विश्व बैंक ने कहा है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं धीरे-धीरे मंदी से उबर रही हैं. साल 2021 में इसकी गति 4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.

Published: January 6, 2021 1:06 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Manoj Yadav

The World bank has refused to provide new financing to Sri Lanka amid deep crisis.
The World Bank in a report said the central banks around the world have been raising interest rates this year with a degree of synchronicity not seen over the past five decades, a trend that is likely to continue well into next year

World Bank: विश्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) अब तक की सबसे बड़ी मंदियों में से एक मंदी (Recession) से बाहर निकल रही है और अब इसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. दुनिया के कई देशों में COVID-19 वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास (David Malpass) ने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था चार फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी. लेकिन फिर भी यह महामारी की पूर्व की स्थिति से इसमें पांच फीसदी की कमी रहेगी.

ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स (Global Economic prospects) की रिपोर्ट के हवाले से मलपास ने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था अपनी सबसे गहरी मंदी में से इस मंदी से उबरते हुए दिखाई दे रही है. रिपोर्ट के अनुसार (According to the report), अगर नीति निर्माताओं (Policy makers) ने महामारी (Pandemic) पर काबू के लिए और निवेश बढ़ाने वाले सुधार लागू करने वाले कदम नहीं उठाया तो रिकवरी की संभावना कम हो जाएगी.

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यद्यपि वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) 2020 में संकुचन के बाद फिर से 4.3 फीसदी की दर से आगे बड़ रही है. महामारी के दौरान बहुत से लोगों की जानें चली गई और कई लोग बीमारी के शिकार हुए जिससे अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लगा और गरीबी में डूब गए. जिससे काफी लंबी समय के लिए आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट-अवधि की नीति की प्राथमिकता से COVID-19 का प्रसार नियंत्रित हो रहा है. तेजी से और व्यापक पैमाने पर टीकाकरण सुनिश्चित किया जा रहा है. लेकिन, आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए, अधिकारियों को सतत विकास के उद्देश्य से एक पुन: निवेश चक्र को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता है जो सरकारी ऋण पर कम निर्भर है.

मलपास ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है. लेकिन, नीति निर्माताओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य, ऋण प्रबंधन, बजट नीतियों, केंद्रीय बैंकिंग और संरचनात्मक सुधारों में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वे यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि धीरे-धीरे सुधार मजबूत वृद्धि के लिए एक नींव हैं.

उन्होंने कहा, “महामारी के प्रभावों को दूर करने और निवेश की स्थिति को कम करने के लिए, व्यापार के माहौल को बेहतर बनाने, श्रम और उत्पाद बाजार के लचीलेपन को बढ़ाने और पारदर्शिता और शासन को मजबूत करने के लिए एक बड़ा धक्का देने की जरूरत है.”


2020 में वैश्विक आर्थिक गतिविधि में गिरावट का अनुमान है कि मुख्य रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उथले संकुचन और चीन में अधिक मजबूत सुधारों के कारण यह पहले की तुलना में थोड़ा कम गंभीर रहा.

बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसके विपरीत, अन्य उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की गतिविधियों में रुकावटें उम्मीद से कहीं ज्यादा थीं.

विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री कारमेन रेनहार्ट ने कहा कि इन देशों में से कई में वित्तीय कमजोरियों, विकास कार्यों पर लगे झटकों ने कमजोर घरेलू और व्यावसायिक बैलेंस शीट को प्रभावित किया है. इन पर भी विचार करने की आवश्यकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक विकास 2022 में मध्यम से 3.8 फीसदी रहने का अनुमान है. जिसे संभावित विकास के लिए महामारी के स्थायी नुकसान मापा गया है. विशेष रूप से, निवेश और मानव पूंजी पर महामारी के प्रभाव से उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में विकास की संभावनाओं को नष्ट करने और महत्वपूर्ण विकास लक्ष्यों को वापस लाने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक रिकवरी, जो COVID-19 महामारी के कारण प्रभावित हुआ है. उम्मीद है कि भविष्य में होने वाले टीकाकरण से समर्थित आत्मविश्वास, खपत और व्यापार में धीरे-धीरे सुधार होगा.

यद्यपि कुल मिलाकर ईएमडीई विकास 2021-22 में 4.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. यह सुधार काफी हद तक चीन के अपेक्षित सुधार के मुताबिक ही जान पड़ता है. अगर चीन की विकास दर को इसमें से निकाल दें तो ईएमडीई में रिकवरी और धीमी हो जाएगी. उसके बाद यह 2021-22 में औसतन 3.5 फीसदी रह सकती है. इस पर महामारी का प्रभाव जारी रहेगा जिससे खपत और मांग में कमी बनी रहेगी.

रिपोर्ट के आगे कहा गया है कि निवेश करने के लिए यह उचित समय है. इससे दोनों को लाभ मिलेगा. इससे अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलेगा जिससे आने वाले समय में निवेशकों को भी लाभ मिलेगा.

मलपास ने कहा कि आज महामारी संकट के लिए हमारी प्रतिक्रिया आने वाले वर्षों में हमारे सामान्य भविष्य को एक आकार देगी. हमें एक टिकाऊ, न्यायसंगत और स्थायी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए नींव रखने के अवसर के लिए तैयार हो जाना चाहिए.

(With PTI Inputs)

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