टीचिंग के लिए 2030 से चार वर्षीय बीएड डिग्री होगी न्यूनतम योग्यता, जानें पूरी डिटेल

Four Year B.Ed Degree: दस्तावेज में कहा गया है कि शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा.

Updated: July 30, 2020 8:18 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Munna Kumar

टीचिंग के लिए 2030 से चार वर्षीय बीएड डिग्री होगी न्यूनतम योग्यता, जानें पूरी डिटेल
(फोटो प्रतीकात्‍मक)

Four Year B.Ed Degree: चार वर्षीय समन्वित बीएड डिग्री साल 2030 से शिक्षण कार्य के लिये न्यूनतम अर्हता होगी और निम्न स्तर के स्वचालित शिक्षक शिक्षा संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. नयी शिक्षा नीति में इसका खाका पेश किया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं . इस नीति में यह खाका प्रस्तुत किया गया है कि नीतिगत जरूरतों के अनुरूप शिक्षकों के प्रशिक्षण संबंधी मांगों को कैसे पूरा किया जायेगा .

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शिक्षा नीति के दस्तावेज के अनुसार, ‘‘ साल 2030 से शिक्षण के लिये न्यूनतम अर्हता चार वर्षीय समन्वित बीएड डिग्री होगी . ’’ इसमें निम्न स्तर के शिक्षक शिक्षा संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही गई है. इसमें कहा गया है कि, ‘‘ साल 2022 तक राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) शिक्षकों के लिये एक साझा राष्ट्रीय पेशेवर मानक तैयार करेगी जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा. ’’ नीति के अनुसार, पेशेवर मानकों की समीक्षा एवं संशोधन 2030 में होगा और इसके बाद प्रत्येक 10 वर्ष में होगा.

दस्तावेज में कहा गया है कि शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा. पदोन्नति योग्यता आधारित होगी, जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्‍यवस्‍था होगी. एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी.

एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जाएगी, जिसमें उत्कृष्टता वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा- जिसमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें- जो कि विश्वविद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों को लघु और दीर्घकालिक परामर्श/व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार करेंगे. नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है. विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा. नीति में कहा गया है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विधि और मेडिकल को छोड़कर एकल नियामक होगा .

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति(एनईपी) को मंजूरी दे दी, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं. साथ ही, शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

नयी नीति में बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते कहा गया है कि स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नयी पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी, जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए होगी. इसमें 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.

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Published Date: July 30, 2020 8:17 PM IST

Updated Date: July 30, 2020 8:18 PM IST