
बड़ी खबर: प्रमोशन में एससी-एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम ने सुनाया फैसला, क्या है पूरा मामला, जानें
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर कहा कि एससी और एसटी के प्रोमोशन में आरक्षण की शर्तों को कम नहीं किया जाएगा.

नई दिल्ली: सरकारी जॉब्स में एससी और एसटी श्रेणी के उम्मीदवारों को प्रोमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रोमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) देने के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा. आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि पूरा माममा क्या है. यहां नीचे जानिये कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर ऐसा क्यों कहा है.
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क्या है पूरा मामला जानें:
इस मामले पर न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है. केंद्र ने इससे पहले पीठ से कहा था कि यह जीवन की सच्चाई है कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोगों को अगड़ी श्रेणियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया है.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाली ने जो दस्तावेज जमा किए हैं, उसमें कहा है कि एससी और एसटी से संबंधित लोगों के लिए समूह ए श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है और समय आ गया है जब शीर्ष अदालत को एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए कुछ ठोस आधार बनाना चाहिए.
इस न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकारी नौकरी में प्राेमोशन में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आरक्षण देने के मुद्दे पर अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगी और कहा कि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करना चाहते हैं.
कोर्ट ने कहा है कि नागराज (2006) और जरनैल सिंह (2018) मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद शीर्ष अदालत कोई नया पैमाना नहीं बना सकती. इस मामले में कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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