
Pariksha Pe Charcha: छात्रों को पीएम नरेंद्र मोदी की सलाह- उपयोगिता अनुरूप गैजेट पर बिताएं समय
उन्होंने कहा कि आज के दौर में भारत में लोग औसतन 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं. रील्स देखने वाले एक बार इसे देखना शुरू करते हैं तो फिर काफी देर तक बाहर नहीं आते. उन्होंने कहा कि गैजेट्स हमें गुलाम बना देते हैं हमें उनका गुलाम नहीं बनना है.

नई दिल्ली: शुक्रवार को आयोजित ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से ऑनलाइन और स्मार्ट गेजेट्स को लेकर भी प्रश्न पूछे. छात्रों ने पूछा कि इस प्रकार के गैजेट और सोशल मीडिया के दौर में बिना भटके पढ़ाई पर कैसे ध्यान लगाएं. प्रधानमंत्री ने छात्रों को उत्तर देते हुए कहा कि पहले यह तय कीजिए कि आप ज्यादा स्मार्ट है या गैजेट. उन्होंने कहा कि गैजेट का सही उपयोग करना सीखें. प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि आप ऑनलाइन रील्स देखते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि आज के दौर में भारत में लोग औसतन 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं. रील्स देखने वाले एक बार इसे देखना शुरू करते हैं तो फिर काफी देर तक बाहर नहीं आते. उन्होंने कहा कि गैजेट्स हमें गुलाम बना देते हैं हमें उनका गुलाम नहीं बनना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें खुद से यह तय करना चाहिए कि हम इन गैजेट के गुलाम नहीं बनेंगे.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें गैजेट पर उतना ही समय बिताना चाहिए जितना कि उनका उपयोग है. प्रधानमंत्री ने फास्टिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि हम जैसे फास्टिंग करते हैं वैसे ही हमें हफ्ते में कुछ दिन या दिन में कुछ घंटे ऑनलाइन गैजेट को लेकर भी फास्टिंग करनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि क्या हम सप्ताह में 1 दिन डिजिटल फास्टिंग कर सकते हैं यानी कि 1 सप्ताह में 1 दिन डिजिटल ऑनलाइन साधनों की फास्टिंग की जाए.
प्रधानमंत्री ने परिवारों का जिक्र करते हुए कहा कि अब तो घर में ऐसा भी ²श्य को देखने को मिलता है कि सब एक साथ बैठे हैं और अपने अपने मोबाइलों में व्यस्त हैं. बात करने के लिए मां भी पिता को व्हाट्सऐप भेजती है. घर में भी एक हिस्सा ऐसा होना चाहिए जिसे हम कह सकें नो टेक्नोलॉजी जोन यानी कि वहां आना है तो कोई गजट नहीं लाना होगा. प्रधानमंत्री ने कहा देखिए इससे आपको आनंद मिलेगा, आप महसूस करेंगे कि आप गैजेट के गुलाम नहीं हैं और गुलामी खत्म होगी तो आपको आनंद की अनुभूति होगी.
छात्रों ने चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री से यह भी पूछा कि परीक्षा में अनुचित साधनों के प्रयोग से कैसे बचा जाए. प्रधानमंत्री ने नकल करने को लेकर कहा कि पहले भी शायद चोरी छुपे छात्र नकल करते होंगे, लेकिन अब कई छात्र गर्व से कहते हैं कि सुपरवाइजर को बुद्धू बना दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा भी अनुभव आया कि कुछ स्कूल या कुछ ऐसे टीचर जो चाहते हैं कि उनके कैसे भी अच्छे नंबर लाएं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ छात्र पढ़ने में तो समय नहीं देते लेकिन नकल करने के तरीके ढूंढने में बहुत तेज होते हैं. नकल करने की युक्तियों में वह घंटों बिता देते हैं. इसकी बजाय यदि उतना ही समय सीखने पढ़ने में लगा देते तो शायद अच्छे नतीजे आते. किसी को ऐसे छात्रों को समझाना चाहिए था उसे गाइड करना चाहिए था. ऐसा नहीं है कि एक एग्जाम से निकले और जिंदगी निकल गई. ऐसा संभव नहीं है. जीवन में बार बार परीक्षा होती है और कितनी जगह पर नकल करेंगे. नकल के भरोसे रहने वाला छात्र जिंदगी कभी पार नहीं कर पाएगा. नकल से जिंदगी नहीं बदल सकती है.
दूसरी और जो विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हैं उनसे भी मैं कहूंगा कि आपकी मेहनत आपकी जिंदगी में रंग लाएगी. हो सकता है कि कोई ऐसे ही फालतू आपसे दो-चार अंक ज्यादा ले जाएगा लेकिन वह कभी भी आपकी जिंदगी में रुकावट नहीं बन पाएगा. मेहनत करने की आपकी यह ताकत आपको जीवन में आगे ले जाएगी. प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि कभी ऐसा कोई गलत काम नहीं करना. परीक्षाएं तो आती है और जाती हैं लेकिन हमें जिंदगी जीतनी है. प्रधानमंत्री ने छात्रों से शॉर्टकट न लेने की अपील की.
छात्रों ने प्रधानमंत्री से हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क को लेकर भी प्रश्न पूछा. प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए प्यासे कौवे की कहानी का जिक्र किया. एक प्यासा कौवा आधे भरे घड़े में कंकड़ डालता है जिससे पानी ऊपर आता है और कौवे की प्यास बुझती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कौवे का हार्ड वर्क है या स्मार्ट वर्क. उन्होंने कहा कि कुछ लोग होते हैं जो हार्ड वर्क ही करते रहते हैं और कुछ लोग होते हैं जिनके जीवन में हार्ड वर्क का नामोनिशान भी नहीं होता. कुछ लोग स्मार्ट वर्क करते हैं, और कुछ लोग होते हैं जो स्मार्ट तरीके से हार्ड वर्क करते हैं.
प्रधानमंत्री ने छात्रों से स्मार्टली हार्ड वर्क करने को कहा. प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार वह जीप में सफर कर रहे थे और जीप रास्ते में खराब हो गई. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने बहुत कोशिश की बहुत मेहनत की लेकिन जीप ठीक नहीं हुई. फिर हमने एक मकैनिक को बुलाया जिसने सिर्फ 2 मिनट में जीप ठीक कर दी और 200 रुपए मांगे. हमने पूछा सिर्फ 2 मिनट का 200 रुपए. उसने कहा कि सिर्फ 2 मिनट का नहीं, यह 50 साल के अनुभव के 200 रुपए हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)
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