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School Fee Exemption: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार से COVID -19 लॉकडाउन पीरियड के लिए निजी स्कूल के छात्रों की फीस में छूट के अलावा छात्रों को परीक्षाओं के बिना कक्षा 8 से अगली कक्षाओं में पदोन्नति करने को लेकर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने पिछले हफ्ते मासूम बच्चन फाउंडेशन (Masoom Bachpan Foundation) द्वारा दायर एक सार्वजनिक हित की याचिका पर सरकार का रुख मांगा है.
याचिका में याचिकाकर्ता ने लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल फोन द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान बच्चों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों का मुद्दा उठाया है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चिंता और तनाव के स्तर, तार्किक सोच, स्मृति, मनोदशा और tiny tots की मानसिक स्थिरता पर भारी प्रभाव पड़ रहा है.
इस बात की ओर इशारा करते हुए कि कई शिक्षाविदों ने तदनुसार “नो एग्जाम सिस्टम” का सुझाव दिया है. याचिकाकर्ता ने शैक्षिक सत्र 2020-21 में प्राथमिक स्कूलों के छात्रों को उनकी अगली कक्षाओं में बिना परीक्षा लिए प्रमोट करने के लिए शैक्षिक अधिकारियों के लिए एक निर्देश जारी करने के लिए अदालत से प्रार्थना की है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लॉकडाउन के दौरान कोई शैक्षणिक संस्थान कार्य नहीं कर रहा था और इसलिए छात्रों और उनके माता-पिता से कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने बिना जांच किए स्कूलों के अकाउंट की ऑडिटिंग की जांच करने के लिए कहा कि क्या छात्रों द्वारा पहले से भुगतान की गई फीस लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. याचिका की 17 नवंबर की सुनवाई के बाद पीठ ने इसे 4 दिसंबर को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया है.
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