
पुरुषों की मौजूदगी में थाने में निर्वस्त्र कर हुई चोरी की आरोपी मां-बेटी की पिटाई, NHRC ने भेजा नोटिस
60 वर्षीय महिला और उसकी 27 वर्ष की बेटी को एक महिला पुलिसकर्मी ने शहर कोतवाली पुलिस थाने में गत 14 अक्टूबर को पुरुष पुलिस अधिकारियों के सामने निर्वस्त्र किया और बुरी तरह से पिटाई की.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस खबर को लेकर छत्तीसगढ़ के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है कि एक वृद्ध महिला और उसकी बेटी को बिलासपुर में एक पुलिस थाने में एक महिला पुलिसकर्मी ने पुरुष सहयोगियों के सामने कथित रूप से निर्वस्त्र किया और बुरी तरह से पिटाई की. आयोग ने सोमवार को जारी एक बयान में इसे एक ‘‘अमानवीय और बर्बर कृत्य’’ करार दिया. आयोग ने कहा कि उसने इस मामले में मीडिया में आयी खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है.
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आयोग ने कहा कि खबर के अनुसार चोरी के आरोप में गिरफ्तार 60 वर्षीय महिला और उसकी 27 वर्ष की बेटी को एक महिला पुलिसकर्मी ने शहर कोतवाली पुलिस थाने में गत 14 अक्टूबर को पुरुष पुलिस अधिकारियों के सामने निर्वस्त्र किया और बुरी तरह से पिटाई की. आयोग ने कहा, ‘‘कथित रूप से उच्च रक्तचाप की मरीज होने के चलते मां ने इलाज का अनुरोध किया लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई. यहां तक कि उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर भी चोटें आयीं.’’
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आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक नोटिस जारी किया है और उनसे चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट मांगी है जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी हो. आयोग ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि मीडिया में आयी खबर की सामग्री यदि सही है तो इससे पीड़ितों के मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उत्पन्न होता है.
NHRC has taken suo motu cognizance of a media report that a 60-yr-old woman&her daughter, arrested on the charges of theft, were stripped naked&severely beaten by a woman police personnel in front of male police officials at City Kotwali PS, in Chhattisgarh’s Bilaspur on 14th Oct
— ANI (@ANI) October 22, 2018
National Human Rights Commission has issued a notice to the Director General of Police, Chhattisgarh, and asked him to submit a report in the matter within four weeks along with action taken against the guilty police personnel. — ANI (@ANI) October 22, 2018
आयोग ने कहा, ‘‘जब किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है, यह पुलिस प्राधिकारियों का दायित्व है कि वे उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें लेकिन इस मामले में ऐसा लगता है कि पुलिसकर्मियों ने स्वयं क्रूर और अमानवीय व्यवहार किया और पीड़ितों को शारीरिक प्रताड़ना दी जो कि अमानवीय और बर्बर है.’’
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मीडिया की 17 अक्टूबर की खबर में कहा गया है कि मामला तब प्रकाश में आया जब दोनों पीड़ितों को अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां उन्होंने ‘‘पुलिस बर्बरता की कहानी बयां की.’’ अदालत ने कथित रूप से मामले की एक राजपत्रित अधिकारी द्वारा जांच का आदेश दिया और रिपोर्ट 26 अक्टूबर तक मांगी है. अदालत ने पीड़ितों की चोट के साथ ही यह भी उल्लेख किया है कि वे चल भी नहीं पा रही थीं.
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