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अविवाहित बेटी माता-पिता से शादी का खर्च मांग सकती है: High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि अविवाहित बेटी हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम-1956 के प्रावधानों के तहत अपने माता-पिता से शादी के खर्च का दावा कर सकती है

Published: March 31, 2022 3:55 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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(फाइल फोटो)

Chhattisgarh, High Court, रायपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने कहा है कि अविवाहित बेटी (unmarried daughter) हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम-1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956) के प्रावधानों के तहत अपने माता-पिता से शादी के खर्च का दावा कर सकती है. बिलासपुर में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की मूल निवासी 35 वर्षीय महिला राजेश्वरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने निचली पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और गुणदोष के आधार पर मामले को फैसले के लिए उसे वापस भेज दिया.

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याचिकाकर्ता के वकील एके तिवारी ने बताया कि न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की पीठ ने 21 मार्च को याचिका पर सुनवाई की अनुमति यह स्वीकार करते हुए दी कि एक अविवाहित बेटी हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम-1956 के प्रावधानों के तहत अपने माता-पिता से शादी में खर्च होने वाली राशि का दावा कर सकती है.

पीठ ने दुर्ग पारिवारिक अदालत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा 22 अप्रैल 2016 को पारित आदेश को रद्द कर दिया और अधिनियम की धारा-3 (बी) (ii)की भावना के तहत गुणदोष के आधार पर मामले को फैसले के लिए परिवारिक अदालत के पास भेज दिया. हाईकोर्ट ने पक्षकारों को पारिवारिक अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता राजेश्वरी भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के एक कर्मचारी भानू राम की बेटी की है. उसने हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम-1956 के तहत दुर्ग की पारिवारिक अदालत में एक याचिका दायर कर वैवाहिक खर्च के रूप में 20 लाख रुपए की धनराशि दिए जाने की मांग की थी. पारिवारिक अदालत ने 7 जनवरी 2016 को यह कहते हुए राजेश्वरी की याचिका खारिज कर दी थी कि अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एक बेटी अपनी शादी के खर्च का दावा कर सकती है.

राजेश्वरी ने अपनी याचिका में कहा था कि प्रतिवादी भानू राम सेवानिवृत्त होने जा रहा है और सेवानिवृत्ति बकाया के रूप में उन्हें 55 लाख रुपए प्राप्त होने की संभावना है. लिहाजा, उचित रिट दायर कर प्रतिवादी के नियोक्ता भिलाई स्टील प्लांट को भानू राम के सेवानिवृत्ति बकाये का एक हिस्सा यानी 20 लाख रुपए वैवाहिक खर्च के रूप उसकी अविवाहित बेटी के पक्ष में जारी करने का निर्देश दिया जाए. तिवारी के मुताबिक, राजेश्वरी ने पारिवारिक अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि कानून के अनुसार अविवाहित बेटी अपने पिता से शादी के खर्च की मांग कर सकती है. उसने दावा किया था कि यह खर्च भरण-पोषण के दायरे में आता है. (इनपुट: भाषा)

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