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जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने पर भारतीय टीम मैनेजमेंट से शोएब अख्तर नाराज, बोल दी यह बात
शोएब अख्तर ने कहा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट बुमराह को तीनों फॉर्मेट में सभी मैच खिलाए जा रहा था, जबकि वे बेहतर जानते थे कि उनका वर्कलोड बढ़ रहा है और उसे मैने करना चाहिए.
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर (Shoaiab Akhtar) ने टीम इंडिया के स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) की चोट पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट उनके वर्कलोड को सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाया और इसी के चलते वह चोटिल होकर बीते 6 महीने से इंटरनेशनल क्रिकेट से बाहर हैं और अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिरी क्रिकेट के मैदान पर उनकी वापसी कब होगी.
अख्तर ने उनकी चोट के लिए उनके असामान्य बॉलिंग एक्शन को भी जिम्मेदार माना. अपने दौर के खौफनाक गेंदबाजों में शुमार रहे अख्तर ने कहा कि उनका बॉलिंग एक्शन उनके चोटिल होनी की सबसे बड़ी वजह है. वह फ्रंट ऑन एक्शन से गेंदबाजी करते हैं, जिससे उनकी कमर पर पूरा जोर पड़ता है और इसके चलते वह चोटिल हो रहे हैं.
अख्तर ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत में कहा, ‘उनका फ्रंट ऑन बॉलिंग एक्शन है और जब वह बॉल फेंकने से पहले अपना एक्शन लोड करते हैं तो उनकी स्पाइनल कोर्ड (रीढ़ की हड्डी) पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. इसलिए हम साइड ऑन होना पसंद करते हैं क्योंकि इससे मेरे जैसे गेंदबाज अपने हिप्स, जांघ और तो और अपने बाएं हाथ से भी स्पीड बनाने के लिए मदद लेते हैं. इससे हमारी बैक पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता, जबकि जसप्रीत के पास यह सपॉर्ट नहीं है.’
रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर इस पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा, ‘फ्रंट ऑन एक्शन के चलते उन्हें कोई राहत नहीं मिलती, जब कमर साथ नहीं देती तो आप इससे नहीं बच सकते कि कितना प्रयास कर रहे हैं.’ उन्होंने इसके लिए भारतीय टीम मैनेजमेंट को जिम्मेदार माना. अख्तर ने कहा ‘टीम मैनेजमेंट यह बखूबी जानता था कि वह उन्हें फिट रखने के लिए उनका वर्कलोड मैनेजमेंट कम किया जाए. लेकिन वह उसे तीनों फॉर्मेट में खिलाते रहे.’
उन्होंने कहा, ‘जितनी क्रिकेट उन्होंने खेली है उन्हें टूटना ही था. वह तीनों फॉर्मेट में नियमित खेल रहे थे और उसके बाद आईपीएल भी खेल रहे थे. उनका एक्शन टिकने वाला नहीं है.’
47 वर्षीय अख्तर ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे लगता है कि टीम मैनेजमेंट उन्हें बेहतर मैनेज कर सकता था और उन्हें खुद से यह तय करना था कि उन्हें किस फॉर्मेट में खेलना चाहिए और उन्हें किसी फॉर्मेट को छोड़ना चाहिए था. अगर मैं टीम मैनेजमेंट में होता तो मैं उन्हें यही सलाह देता कि वह 5 में से सिर्फ 3 मैच ही खेलें और सिर्फ अहम मैचों में खेलें. ज्यादा ट्रेनिंग और कम मैच ही उनके करियर को लंबा खींच सकते हैं.’
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