
5G Lawsuit: दिल्ली हाईकोर्ट ने जूही चावला पर लगाया गया 20 लाख का जुर्माना कम करके 2 लाख किया
दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने अभिनेत्री जूही चावला पर लगाया गया 20 लाख रुपये का जुर्माना घटाकर 2 लाख रुपये कर दिया है. अभिनेत्री पर आरोप है कि उन्होंने प्रचार पाने के लिए देश में 5जी नेटवर्क स्थापित किए जाने के खिलाफ मामला दायर किया था.

5G Lawsuit: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने अभिनेत्री जूही चावला (Juhi Chawla) पर लगाया गया 20 लाख रुपये का जुर्माना घटाकर 2 लाख रुपये कर दिया है. पीठ ने देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क (5G Wireless Network) स्थापित करने के खिलाफ दायर मुकदमे को खारिज करने के दौरान एकल न्यायाधीश द्वारा की गई कई टिप्पणियों को भी हटा दिया. अभिनेत्री पर आरोप है कि उन्होंने प्रचार पाने के लिए देश में 5जी नेटवर्क स्थापित किए जाने के खिलाफ मामला दायर किया था.
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इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि अगर जूही चावला जनता की सेवा से जुड़ा कोई करती हैं जो उन पर 5जी वायरलेस नेटवर्क को चुनौती देने वाली याचिका पर लगाया गया, जुर्माना 20 लाख से घटाकर दो लाख किया जा सकता है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा हम इसे घटाकर दो लाख रुपये कर देंगे, लेकिन इसकी एक शर्त है. यह मानते हुए कि आपका मुवक्किल एक सेलिब्रिटी है, उसे कुछ सार्वजनिक कार्य करना चाहिए. उसकी छवि का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए. वह दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए )के लिए कुछ कार्य कर सकती हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने मानव शरीर पर 5जी तकनीक के प्रभाव पर वास्तविक चिंता जताई थी. उन्होंने बाद में, कहा कि वह अदालत द्वारा दिए गए सुझाव पर उनसे निर्देश मांगेंगे. अदालत ने इसके अलावा, डीएलएसए सचिव को नोटिस जारी करते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जनवरी को सूचीबद्ध किया था.
गौरतलब है कि 21 जनवरी को डीएसएलएसए ने आदेश के निष्पादन की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें जूही चावला और दो अन्य को 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने वाले मुकदमे के संबंध में दायर की गई याचिका पर 20 लाख रुपये का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया गया था.
पिछले साल 4 जून को न्यायाधीश जेआर मिधा ने देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ उनके मुकदमे को खारिज कर दिया था. जूही की याचिका में कहा गया है कि आरएफ विकिरण का स्तर मौजूदा स्तरों से 10 से 100 गुना अधिक है. इसने यह भी दावा किया कि यह वायरलेस तकनीक मनुष्यों पर अपरिवर्तनीय और गंभीर प्रभावों को भड़काने के लिए एक संभावित खतरा हो सकती है और यह पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है.
अदालत ने माना था कि जूही चावला और दो अन्य द्वारा दायर किया गया मुकदमा दोषपूर्ण और सुनवाई योग्य नहीं था और इसमें असत्यापित दावे भी शामिल थे, जिसके बाद इस पर और जुर्माना भी लगाया था.
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