By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.
कोरोना का टीका लगवाने के लिए उम्र सीमा में ढील मिलेगी या नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोना का टीका लगवाने के लिए उम्र सीमा में ढील लेने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें केंद्र और दिल्ली सरकार को कोविड-19 रोधी टीकाकरण के लिए उम्र मानकों में ढील देने तथा अभियान में निजी क्षेत्र की ज्यादा भागीदारी को लेकर निर्देश का अनुरोध किया गया. न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि समाज की भलाई से ज्यादा प्रचार पाने के लिए जनहित याचिका दाखिल की गयी है.
पीठ ने कहा, ‘‘प्रारंभिक नजर में हमारी राय है कि अदालत को ऐसे मामलों से नहीं निपटने की जरूरत हैं जहां प्रयोग आधारित आंकड़ों की जरूरत है.’’ अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस ले रहा है और परिणाम को जानता है तथा भविष्य में वह इस तरह की याचिकाएं दाखिल नहीं करेगा इसलिए जुर्माना नहीं लगाया जा रहा.
उच्च न्यायालय की पीठ दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के अंतिम वर्ष के एक छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग लोगों और समाज के कमजोर तबके के लोगों के फायदे के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान चलाने को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया.
याचिकाकर्ता मृगांक मिश्रा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष मोहन ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में लगातार हो रही बढोतरी और संक्रमण की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के ज्यादा गंभीर होने के कराण टीकाकरण अभियान को तेज करने की जरूरत है. इसमें निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाए ताकि जल्दी से टीकाकरण हो और वरिष्ठ नागरिकों को घर पर टीका लेने की अनुमति दी जाए. सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि दिल्ली में सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों में कितने लोगों को टीके की खुराक दी जा रही है और शहर में कितने टीके उपलब्ध हैं.
पीठ ने कहा कि जब तक टीके की ज्यादा उपलब्धता ना हो याचिकाकर्ता के लिए टीकाकरण अभियान को विस्तार करने का अनुरोध नहीं करना चाहिए. अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता को इस बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है और प्रचार पाने के लिए याचिका दाखिल कर दी गयी.