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दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, भारत सरकार को इस पर कोई भी कानून लाने का अधिकार: गृह मंत्री अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए संसद में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब दिया

Published: March 30, 2022 8:01 PM IST

By Laxmi Narayan Tiwari

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए संसद में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब दिया

Delhi, Delhi Municipal Corporation, Lok Sabha, Amit Shah, BJP: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah ) ने आज बुधवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए संसद में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 (Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill, 2022) पर चर्चा का लोकसभा ( Lok Sabha) में जवाब देते हुए कहा, यह विधेयक संविधान की धारा 239 एए के अनुसार संसद में निहित शक्तियों के भीतर है. लोकसभा में शाह ने कहा, मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह बिल संविधान के अनुसार है और यह बिल्कुल संवैधानिक बिल है. चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, भारत सरकार को इससे संबंधित कोई भी कानून लाने का अधिकार है.

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केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, राज्यों के अधिकारों को लेकर बातचीत हो रही है. सीएम केजरीवाल भी यही बोलते हैं. मैं महाराष्ट्र, गुजरात या बंगाल के लिए ऐसा बिल नहीं ला सकता. राज्यों में न तो मैं और न ही केंद्र ऐसा कर सकता है. लेकिन अगर आप राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के बीच अंतर नहीं जानते हैं, तो मुझे लगता है कि संविधान का फिर से अध्ययन करने की जरूरत है.

लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, सत्ता खोने का डर रखने वाले ही इस पर आपत्ति जता सकते हैं. लोकतंत्र के पैरोकार इस पर पर कभी आपत्ति नहीं कर सकते. हम अपने कार्यक्रम, विचारधारा, अपने नेताओं की लोकप्रियता और अपने प्रदर्शन के आधार पर चुनाव लड़ना और जीतना चाहते हैं.

गृह मंत्री ने कहा, हर पार्टी को अपनी विचारधारा, स्टैंड, कार्यक्रम और प्रदर्शन के साथ हर जगह जाना चाहिए. यही लोकतंत्र की खूबसूरती है. यहां क्या आपत्तिजनक है? अगर कोई पार्टी सोचती है कि उसके उम्मीदवारों को उनकी विचारधारा और लोकप्रियता के आधार पर सत्ता में चुना जाना चाहिए, तो यहां क्या आपत्तिजनक है?

हम चुनाव से नहीं डरते. मैं आपको बताऊंगा कि जब चुनाव की आशंका हो तो क्या किया जाता है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था. इसके तुरंत बाद, एक पीएम, जिसे इस सदन में वोट देने का अधिकार नहीं था, उन्‍होंने ने देश में लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए और आपातकाल लगा दिया था, यही डर है.

बता दें कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित विपक्षी दलों ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए संसद में विधेयक लाने के कदम को दिल्ली पर फिर से नियंत्रण करने का भाजपा नीत केंद्र सरकार का प्रयास बताया और कहा कि संवैधानिक नैतिकता का हनन करते हुए उक्त विधेयक को लाया गया है जो उसके अधिकार क्षेत्र का विषय नहीं है. निचले सदन में चर्चा एवं पारित कराने के लिए विधेयक को रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर राजधानी के तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया.

केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि तीनों निगमों की नीतियों और संसाधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार इनके एकीकरण के लिए विधेयक लेकर आई है. उन्होंने यह भी कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को आनन-फानन में तीन निगमों में विभाजित करने के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है. गृह मंत्री ने कहा कि कारण स्पष्ट नहीं होने से लगता है कि इसका राजनीतिक मकसद रहा होगा. उन्होंने कहा कि एक ही शहर के तीन निगम अलग-अलग नीतियों से चलते हैं. कर्मियों की सेवा शर्तों में भी एकरूपता नहीं है और इन विसंगतियों के कारण कर्मियों में भी असंतोष नजर आया. शाह ने दावा किया कि विभाजन के समय संसाधनों और दायित्वों का विभाजन सोच-विचार कर नहीं किया गया.

विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि 1991 में दिल्ली में विधानसभा बनाकर उसे विधायी अधिकार दिए गए थे, लेकिन केंद्र सरकार, दिल्ली को संचालित करने की शक्ति फिर अपने पास वापस ले रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के तीन नगर निगमों का विलय करने के लिए सदन में लाया गया यह विधेयक उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. तिवारी ने कहा कि सदन में विधेयक पेश करते हुए सरकार ने दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 239 (क) (क) के खंड ग के नियमों के तहत सरकार के पास इस विधेयक को संसद में लाने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि संविधान के संबंधित अनुच्छेद में विधायी मंशा यह है कि स्थानीय निकायों का अधिकार राज्य सरकारों के पास रहना चाहिए.

कांग्रेस सांसद ने गत 9 मार्च को निगमों के चुनाव की तारीखों की घोषणा के लिए दिल्ली के निर्वाचन आयोग द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता को स्थगित किये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि आखिरी समय में शायद गृह मंत्रालय ने पत्र भेजा होगा कि हम इसे एक निगम बना रहे हैं आप चुनाव टाल दीजिए. तिवारी ने कहा कि यह स्वायत्त संस्थाओं पर नियंत्रण का प्रयास लगता है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे.

वहीं, भाजपा के रमेश विधूड़ी ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण को प्रदेश की जनता की भलाई के लिए जरूरी कदम बतया. उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर राजनीतिक मकसद से नगर निगमों को धन नहीं देने का आरोप लगाया. बिधूड़ी ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि एक ही परिवार, एक ही पार्टी सत्ता भोगती रहे इसलिए आनन-फानन में निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था. (इनपुट: भाषा-एएनआई )

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