
Losses due to COVID restrictions: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं श्रमिक मजदूर, फैक्ट्री मालिकों ने सरकार से की अपील
Losses due to COVID restrictions: कोरोना के बढ़ते मामलों और बढ़ाई जा रही पाबंदियों (COVID restrictions) के चलते अब फैक्ट्री मालिकों (factory owners) के सामने मजदूरों के पलायन (labours returned home) की समस्या खड़ी हो गई है.

Losses due to COVID restrictions: कोरोना के बढ़ते मामलों और बढ़ाई जा रही पाबंदियों (COVID restrictions) के चलते अब फैक्ट्री मालिकों (factory owners) के सामने मजदूरों के पलायन (labours returned home) की समस्या खड़ी हो गई है. वह रोजाना करोड़ों का नुकसान झेल रहे हैं. दिल्ली के फैक्ट्री मालिकों ने इस स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है. दिल्ली के ओखला इलाके में फ्लैटेड फैक्टरी के जनरल सेक्रेटरी चरणजीत सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि पिछले 2 दिनों में करीब करीब 5 करोड़ रुपये का नुकसान (Losses due to COVID restrictions) हो चुका है.
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उन्होंने बताया कि जब से कोरोना के मामलों में उछाल आया है, तब से मजदूर अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं. ऐसे में नए मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने सरकार से अपील की है कि हमें भी 50 फीसदी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
Delhi | Production units bear losses due to COVID restrictions.
About 5 crore production loss in 2 days. Our labours have returned home, not easy to find new labour…Govt should let us operate at 50% capacity like pvt offices: Charanjit Singh, Gen Secy, Flatted Factory, Okhla pic.twitter.com/JGMDEy9iMV — ANI (@ANI) January 9, 2022
दिल्ली के इंडस्ट्रियल इलाके झिलमिल फ्रेंड्स कॉलोनी के चेयर मेन अनिल गुप्ता ने कहा कि अब दिल्ली छोड़ना ही एकमात्र विकल्प लगता है. उन्होंने कहा कि काम करने वाले सभी लोगों को कोरोना के टीके लगाए जा चुके हैं बावजूद इसके भी, हमें बार बार फैक्ट्री बंद करने के लिए कहा जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि हम कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं हैं, दो बार के लॉकडाउन के कारण हमारी कमर पहले से ही टूटी हुई है.
उन्होंने कहा कि जो दिहाड़ी मजदूर होते हैं, वह किसी बंधन में बंधे नहीं होते हैं, अपनी मर्जी से काम करते हैं. यदि स्थिति नहीं सुधरी तो दिहाड़ी के साथ साथ स्थायी मजदूर भी जाने लगेंगे और सभी मजदूर घर चले जाएंगे तो हमारा बड़ा नुकसान हो जाएगा.
बताते चलें कि पहली लहर के दौरान सरकार ने जब एकाएक लॉकडाउन का ऐलान किया था तो बड़े पैमाने पर मजदूरों ने अपने घरों की तरफ पलायन शुरू कर दिया था. सभी सुविधाएं बंद होने के कारण सैकड़ों मीलों का सफऱ मजदूरों ने पैदल ही पूरा किया था, यहां तक की कई मजदूरों की जान चली गई थी. लिहाजा अब एक बार फिर से मामलों में तेजी आई तो मजदूरों ने अपने घरों का रुख करना शुरू कर दिया है.
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