कुतुब मीनार केस में सुनवाई पूरी, 9 जून को आएगा फैसला, कोर्ट ने कहा-'800 सालों से बिना पूजा के ही हैं देवता तो आगे भी रहने दें'

कुतुब मीनार केस में सुनवाई पूरी हो गई है और साकेत कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट का फैसला 9 जून को आएगा. कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए है कि-' 800 सालों से बिना पूजा के ही हैं देवता तो आगे भी रहने दें.'

Updated: May 24, 2022 3:28 PM IST

By Kajal Kumari

Qutub Minar or Vishnu stambh
Qutub Minar or Vishnu stambh

Qutub Minar Case: कुतुब मीनार मामले में साकेत कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने इसका आदेश सुरक्षित रख लिया है, अब इस मामले में फैसला 9 जून को आएगा. कोर्ट ने मामले पर कहा है कि जब 800 सालों से देवता बिना पूजा के हैं तो उन्हें वैसे ही रहने दें. कोर्ट ने हिंदू पक्ष से सवाल करते हुए पूछा, क्या बिना जांच के कैरेक्टर पता लगाया जा सकता है? हिंदू पक्ष ने जवाब देते हुए कहा, जांच करवा कर देख सकते हैं. वहीं, इस पर ASI ने कहा, कोर्ट को तथ्यों और रिकॉर्ड को देखना चाहिए.

कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कहा कि 27 मंदिरों को ध्वस्त करके कुतुब मीनार की मस्जिद बनाई गई थी वहां हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. हिंदू पक्ष की दलीलों के बीच कोर्ट (एडीजे निखिल चोपड़ा) ने कहा कि 800 सालों से अगर वहां देवता बिना पूजा के भी वास कर रहे हैं तो उनको ऐसे ही रहने दिया जा सकता है.

बता दें कि हिंदू पक्ष की तरफ से कुतुब मीनार परिसर में मौजूद देवी देवताओं की पूजा की इजाजत मांगी गई है. ASI के वकील ने ये भी कहा कि 1914 में परिसर को नियंत्रण में लिया था और जब परिसर हमारे नियंत्रण में आया तब पूजा नहीं होती थी.

कुतुब मीनार की जिस मस्जिद को लेकर साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई वहां नमाज नहीं होती है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये मस्जिद देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़कर लिहाजा अब उन्हें यहां पूजा का अधिकार दिया जाए. हिंदू पक्ष ने ये भी कहा है कि वो मंदिर निर्माण नहीं चाहते हैं सिर्फ पूजा का अधिकार चाहते हैं.

जानिए क्या है विवाद….

दिल्ली स्थित कुतुब मीनार में दो मस्जिद हैं- कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद और मुगल मस्जिद. मुगल मस्जिद में इसी महीने नमाज पर रोक लगाई गई है. जबकि कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में देवी-देवताओं की मूर्तियां होने का दावा किया गया है. यहां भी पूजा की मांग की जा रही है. बता दें कि दोनों मस्जिद के मामले अलग-अलग हैं, कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में नमाज होती ही नहीं है सिर्फ मुगल मस्जिद में नमाज होती थी, जिस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.

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