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दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार, निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा
Yamuna Water Level: दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों से हो रही बारिश से यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. सोमवार को यमुना का जलस्तर 204.5 मीटर के चेतावनी के स्तर से ऊपर पहुंच गया और अगले दो दिन में इसके और बढ़ने की आशंका है.
Yamuna Water Level: दिल्ली में भारी बारिश के बाद सोमवार को यमुना का जलस्तर 204.5 मीटर के चेतावनी के स्तर से ऊपर पहुंच गया और अगले दो दिन में इसके और बढ़ने की आशंका है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. दिल्ली बाढ़ नियंत्रण कक्ष ने कहा कि जलस्तर रविवार-सोमवार की दरमियानी रात एक बजे चेतावनी के स्तर को पार कर गया और सुबह आठ बजे तक यह बढ़कर 204.7 मीटर पर पहुंच गया है. नियंत्रण कक्ष ने हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से सुबह 6 बजे 2,95,212 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना दी है, जो इस मॉनसून सीजन में अब तक सबसे अधिक है. सुबह 7 बजे प्रवाह दर 2,57,970 थी. एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकेंड के बराबर होता है.
आम तौर पर हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह दर 352 क्यूसेक होती है, लेकिन भारी बारिश के बाद जलग्रहण क्षेत्रों में पानी का बहाव बढ़ जाता है. बैराज से छोड़े गए पानी को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने में आमतौर पर दो से तीन दिन लगते हैं. प्रशासन ने अभी बाढ़ की चेतावनी जारी नहीं की है. पूर्वी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट अनिल बंका ने कहा कि नदी के आसपास के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जल स्तर में और वृद्धि होने के बारे में सावधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “जलस्तर के बुधवार तक 206 मीटर तक पहुंचने का अनुमान है. 205.3 मीटर के खतरे के निशान को पार करने पर बाढ़ की चेतावनी जारी की जाएगी.”
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ उत्तरी हिस्सों में पिछले कुछ दिन से लगातार बारिश हो रही है. यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं. दिल्ली में नदी के आसपास के निचले इलाकों के बाढ़ की चपेट में आने की आशंका रहती है. इन इलाकों में लगभग 37,000 लोग रहते हैं. यमुना का जलस्तर 12 अगस्त को 205.33 मीटर के खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया था, जिसके बाद नदी के किनारे के निचले इलाकों से लगभग 7,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था. यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदी के आस-पास के इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. निचले इलाकों में पानी भरने से लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगह पर जाना पड़ सकता है.