Sardar Udham Review: जलियांवाला बाग के बदले की कहानी है सरदार उधम, विक्की और शूजीत सरकार ने फिर जीता दिल

Sardar Udham Review: शूजित सरकार ने खूबसूरती से शहीद उधम सिंह का किरदार पर्दे पर उतारा है और ये विक्की कौशल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है

Updated: October 17, 2021 1:53 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Shilpi Singh

Sardar Udham Review: जलियांवाला बाग के बदले की कहानी है सरदार उधम, विक्की और शूजीत सरकार ने फिर जीता दिल

Sardar Udham Review: 13 मार्च 1919 को अमृतसर में सामूहिक नरसंहारों में जलियांवाला बाग हत्याकांड दर्ज है और इसका दर्द आज भी लोगों के बीच है. ऐसे में इस बाग में एक जनसभा में शामिल हजारों निहत्थे लोगों पर अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने गोलियां चलवा दी थीं. सैकड़ों लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए, सैकड़ों अपंग हुए. इस शर्मनाक घटना को 100 साल से अधिक हो चुके है औऱ इसकी एक छोटी से कहानी लेकर आए हैं विक्की कौशल और शूजित. ऐसे में अगर आप इस वीकेंड सरदार उधम देखने के प्लान बना रहे हैं तो पहले यहां इसका रिव्यू जान लें.

सरदार ऊधम (Sardar Udham) की कहानी आपको लगेगा की केवल जलियांवाला बाग नरसंहार के बदले की कहानी हो, मगर यह सिर्फ़ बदले की कहानी नहीं है. ये कहानी हैसरदार ऊधम (Sardar Udham) उस दौर की युवा पीढ़ी की कहानी है जो अपने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करना चाहता है और अपने ही देश में आज़ादी से सांस ना ले पाने का दर्द हर दिन सहता है. फ़िल्म सरदार ऊधम सिंह (Sardar Udham) की शख्सियत के साथ-साथ आज़ादी की लड़ाई के प्रति उनके नज़रिए से भी परिचित करवाती है.

जिंदगी का मकसद पूरा करने के बाद से उधम की जिंदगी की कहानी निर्देशक ने छोटे-छोटे फ्लैशबैक में बताई है. जिसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड, इससे उधम का पर्सनल कनेक्ट, भगत सिंह के साथ दोस्ती, आयरिश बागियों से मिलने वाली मदद और उनके निजी जीवन के पल शामिल हैं. विक्की कौशल (Vicky Kaushal) ने उधम सिंह (Sardar Udham) के किरदार को जीवंत बना दिया है. उनका अभिनय और हावभाव सधे हुए हैं. किसी भी दृश्य में वह जरा नहीं लड़खड़ाए. माइकल ओ ड्वायर बने शॉन स्कॉट और उधम के वकील के रूप में स्टीफन होगन भी अपने किरदारों में फिट हैं. अमोल पाराशर यहां शहीद भगत सिंह के रोल में हैं.

सरदार उधम (Sardar Udham) की लंबाई करीब पौने तीन घंटे की है, लेकिन कहानी आपको पूरी तरह से जोड़कर रखती है इसलिए इसे देखने से पहले ये ना सोचे की ये कितनी लंबी है बस कहानी के साथ खुद ब खुद ये आपको अपने रंग में रंग लेगी. शूजित ने इसे आम मसाला बॉलीवुड पीरियड बायोपिक की तरह नहीं बनाया, इसलिए इस फिल्म को उस तरह नहीं देखा सकेगा. यह शुजित की महत्वाकांक्षी फिल्म है, जिसमें उन्हें पूरी टीम का अच्छा सहयोग मिला है.

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