
Chhattisgarh News: ED ने IAS अफसर रानू साहू को किया अरेस्ट
Kargil Vijay Diwas 2022: देश आज कारगिल विजय की 23वीं वर्षगांठ मना रहा है. करीब दो महीने चले युद्ध में आज के ही दिन भारत ने पाकिस्तान को हराया था. आज हम अपने उन वीर सपूतों को याद कर रहे हैं जिनकी वीरता के आगे पाकिस्तान पस्त हो गया. इस युद्ध में छत्तीसगढ़ के रहने वाले वीर सपूतों ने भी अदम्य साहस का परिचय देते हुए हर मोर्चे पर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे.बिलासपुर,रायपुर, मस्तूरी और कोरबा क्षेत्र के कई जाबांज जावानों ने पाकिस्तानी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया और भारत माता को जीत दिलाई. इन्हीं वीरों में कोरबा जिले के रहने वाले तोपची प्रेमचंद पांडेय भी हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था.जी मीडिया से बातचीत करते हुए प्रेमचंद पांडेय ने बताया कि इस युद्ध में वे गनर थे.उनकी बोफोर्स रेजिमेंट में कुल 18 बोफोर्स थे. जिसमें उनकी बोफोर्स ने ही पूरे युद्ध में 13 हजार गोले दुश्मनों पर दागे. उन्होंने बताया कि युद्ध में बोफोर्स व 120 एमएम मोर्टार ने निर्णायक भूमिका निभाई थी. इसकी वजह से दुश्मन घुटने टेकने पर मजबूर हुए.
कारगिल योद्धा के नाम से मशहूर प्रेमचंद पांडेय (सेवानिवृत्त हवलदार) ने कारगिल युद्ध की यादें ताजा करते हुए बताया कि युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक 15 हजार फीट ऊपर थे और भारतीय सेना उनसे चार हजार फीट नीचे थी. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने मजबूती के साथ पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला किया. दुश्मन सैनिक को खदेड़ने के बाद पाकिस्तानी बंकर व एम्युनेशन डेम पर हमने कब्जा कर लिया.उन्होंने बताया कि अगले दिन गुमरी सेक्टर की मस्को घाटी में 530-गन हिल पर मैं व यूनिट के धर्मगुरु सूबेदार मेजर कीमोई एलएमजी (लाइट मशीन गन) ड्यूटी पर थे. रात के समय पाकिस्तान के कमांडो उस बंकर के पास पहुंचे. उनकी संख्या सैकड़ों में थी और हम सिर्फ दो थे. जब वे सर्चिंग के बाद पहाड़ी पर चढ़ने लगे तो हमने फायरिंग शुरू कर दी. हमने 600 से ज्यादा राउंड फायर किए और अगले दिन सुबह 30 किमी नीचे आकर अपनी युनिट को रिपोर्ट किया.
प्रेमचंद ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब अंतरमन से आवाज आयी कि शायद हम जिंदा न बचें. मेरी अंतरात्मा ने कहा भारत मां हमें अपनी गोद में सुला लो. जब मैं यह सोच ही रहा था कि पाकिस्तानी सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी. फिर हमारे मन में जोश आ गया और हम उन पर टूट पड़े. बता दें कि प्रेमचंद पांडेय 1995 में सेना मे भर्ती हुए थे. वे 26 मार्च 1996 में ज्वाइन कर जनरल ड्यूटी से करियर शुरू किया और एक अप्रैल 2013 को हवलदार पद के पद पर रहते हुए रिटायर हुए.सेना में रहने से दौरान प्रेमचंद ने श्रीनगर, दुर्गमुला, बारामुला, उरी और कारगिल के बाद सियाचीन ग्लेशियर में चार साल तक माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में देश की रखवाली की.बता दें कि कारगिल युद्ध 8 मई, 1999 से शुरू होकर 26 जुलाई 1999 तक चला था. इस दौरान पांच सौ से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
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