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Maharashtra Political Crisis: क्या इस संकट से निकल पाएगी अघाड़ी सरकार, ये आंकड़े तो उद्धव ठाकरे की नींद उड़ाने वाले हैं

महाराष्ट्र के राजनीतिक ड्रामे का ऊंट किस करवट बैठेगा इस बारे में अब भी कुछ कहना मुश्किल है. लेकिन जैसे हालात हैं और जिस तरह से एकनाथ शिंदे दावा कर रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि शिवसेना का टूटना और उद्धव ठाकरे की सरकार का गिरना तय है. जानिए आंकड़ों की जुबानी, राजनीतिक ड्रामे की पूरी कहानी.

Updated: June 22, 2022 10:42 AM IST

By Digpal Singh

Maharashtra Political Crisis: क्या इस संकट से निकल पाएगी अघाड़ी सरकार, ये आंकड़े तो उद्धव ठाकरे की नींद उड़ाने वाले हैं

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र का राजनीतिक ड्रामा लगातार दूसरे दिन भी जारी है. मंगलवार सुबह खबर आई कि शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गायब हैं और पार्टी के संपर्क में नहीं हैं. खबरों के अनुसार वह सोमवार शाम से ही पार्टी के संपर्क में नहीं थे और अपने समर्थक विधायकों के साथ गुजरात में सूरत के एक होटल में रुके हुए थे. शुरुआत में 17 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ होने की बात सामने आई, फिर यह आंकड़ा 22 और बाद में 35 विधायक उनके साथ होने की बात सामने आई और अब स्वयं शिंदे ने दावा किया है कि उनके साथ 40 विधायक हैं. अपने सभी समर्थक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सूरत से गुवाहाटी पहुंच गए हैं और दावा किया जा रहा है कि दो और शिवसेना विधायक गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए हैं.

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आंकड़ों का खेल

विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के पास कुल 56 विधायक थे, जिनमें से एक विधायक की मृत्यु हो चुकी है. इस तरह से अब शिवसेना के पास 55 विधायक हैं. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों के उनके साथ होने की बात कर रहे हैं. यही नहीं उनका दावा है कि बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना वही हैं. इस तरह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पास अब सिर्फ 15 विधायक ही बचे. अगर राज्य की अघाड़ी सरकार को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा जाता है और यह 40 विधायक शिवसेना या अघाड़ी सरकार के पक्ष में वोट नहीं करते हैं तो एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 और उद्धव ठाकरे गुट के 15 विधायक और अन्य को मिलाकर कुल आंकड़ा 129 ही रह जाता है. जबकि बहुमत का आंकड़ा 145 है.

इस तरह दलबदल कानून लागू नहीं होगा

एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनको 40 विधायकों का समर्थन हासिल है. अगर उनके दावे पर भरोसा किया जाए तो उनके पास शिवसेना के कुल विधायकों के दो-तिहाई यानी 37 विधायकों से ज्यादा हैं. अगर किसी पार्टी का एक गुट दो-तिहाई विधायकों के साथ अलग होता है तो उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होता. इस तरह से उनको विधानसभा सदस्यता गंवाने का खतरा भी नहीं रहता. एकनाथ शिंदे और उनके 40 विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा के विधायकों की संख्या मौजूदा 105 से 145 पहुंच जाएगी और यही आंकड़ा महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए भी जरूरी है. इसके अलावा भाजपा के साथ एनडीए के अन्य सहयोगी भी हैं और इस तरह से एनडीए का कुल आंकड़ा 153 पहुंच जाएगा.

एकनाथ शिंदे के लिए रास्ता

शिवसेना से बागी हुए गुट के नेता एकनाथ शिंदे के पास दूसरा विकल्प यह है कि वह अपनी एक अलग पार्टी बनाएं. जैसा कि उन्होंने कहा भी है कि वह अलग गुट बनाएंगे. अगर वह एक अलग राजनीतिक दल का गठन करते हैं तो वह एनडीए में शामिल होकर उद्धव ठाकरे की सरकार को पलट सकते हैं. मंगलवार को अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि वह वापस लौट आएंगे, अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का साथ छोड़कर भाजपा का साथ देती है और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो. अगर वह अलग पार्टी बनाते हैं तो देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा को समर्थन दे सकते हैं.

इस राजनीतिक भूचाल की शुरुआत कैसे हुई?

इस राजनीतिक भूचाल की शुरुआत सोमवार को हुए विधानपरिषद चुनावों से हुई. भाजपा ने पांच उम्मीदवार उतारे और उसके पांचों उम्मीदवार जीत गए. जबकि महाविकास अघाड़ी की तरफ से शिवसेना और एनसीपी के दो दो-दो उम्मीदवार जीत गए, लेकिन कांग्रेस का एक उम्मीदवार जीता और एक को हार मिली. इसका सीधा कारण क्रॉस वोटिंग रहा. भाजपा के पास चार उम्मीदवारों को जिताने का ही बहुमत था, लेकिन क्रॉस वोटिंग के चलते भाजपा के पांचों उम्मीदवार जीत गए. इसके बाद एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायक गायब हो गए और उनका शिवसेना के वरिष्ठ नेतृत्व से कोई संपर्क नहीं रहा.

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