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Rashtrapati Chunav 2022: भारत में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में समझें पूरी प्रक्रिया

इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आप कई खबरें पढ़ और सुन रहे होंगे. एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है, जो आज अपना नामांकन दाखिल करेंगी. दूसरी ओर संयुक्त विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. आज सिर्फ 10 प्वाइंट्स में जानिए भारत में राष्ट्रपति का चुनाव किस तरह से होता है.

Updated: June 24, 2022 11:31 AM IST

By Digpal Singh

Rashtrapati Chunav 2022: भारत में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में समझें पूरी प्रक्रिया

नई दिल्ली : सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) आज यानी शुक्रवार 24 जून को नामांकन दाखिल करेंगी. इससे पहले वह गुरुवार 23 जून को दिल्ली पहुंची और यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने भी राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. ओडिशा की मूल निवासी द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह के साथ ही ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल के प्रतिनिधि के रूप में राज्य सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री भी मौजूद रहेंगे. एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को YSR कांग्रेस और मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन ने भी समर्थन देने की घोषणा की है.

बता दें कि देश के 15वें राष्ट्रपति के चयन के लिए गुरुवार 9 जून को चुनाव आयोग (Election Commission) ने चुनाव कार्यक्रम का एलान किया था. दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों की (Presidential Election dates) घोषणा की. 15 जून को राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) के लिए नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव होगा और 21 जुलाई 2022 को परिणाम घोषित किया जाएगा. एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और संयुक्त विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. आइए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या है? इसमें कौन-कौन मतदान करता है? मतों की गिनती कैसे होती है? किस तरह से प्रत्याशी को जीत मिलती है? और कैसे अन्य प्रत्याशी रेस से बाहर हो जाते हैं?

राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी जरूरी जानकारी :

  1. भारत में राष्ट्रपति को एलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) चुनता है. इस इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा (Loksabha), राज्यसभा (Rajyasabha) और राज्य विधानसभाओं के विधायक शामिल होते हैं. इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातित आधार पर होता है. सदस्यों का सिंगल वोट ट्रांसफर (Single Vote Transfer) होता है, लेकिन सदस्यों की दूसरी पसंद की भी गिनती की जाती है.
  2. राष्ट्रपति चुनाव में राज्यों की विधानसभाओं में चुनकर आए सदस्य और लोकसभा व राज्यसभा में चुनकर आए सदस्य वोट करते हैं. हालांकि, अपनी संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति जिन सदस्यों को सांसद के तौर पर नॉमिनेट करते हैं, उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में मताधिकार नहीं होता.
  3. विधान परिषद के सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होता है. ज्ञात हो कि भारत के 9 राज्यों में विधान परिषद हैं. इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ वही प्रतिनिधि भाग ले सकते हैं, जिन्हें जनता चुनकर विधानसभा या लोकसभा में भेजती है. हालांकि, राज्यसभा सदस्य का चुनाव जनता सीधे नहीं करती है, फिर भी उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में भाग वोट देने का अधिकार होता है. इसीलिए कहा जाता है कि राष्ट्रपति को परोक्ष रूप से जनता द्वारा चुना जाता है.
  4. भारत में राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक खास तरीके की वोटिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है. इस प्रक्रिया को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है. इसमें वोटर का एक ही वोट गिना जाता है, लेकिन वह कई अन्य उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के क्रम में चुनता है. यानी जन-प्रतिनिधि राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने बैलेट पेपर में अपनी पहली, दूसरी, तीसरी पसंद का चुनाव करता है.
  5. राष्ट्रपति चुनाव में हर वोटर के वोटों का वेटेज एक जैसा नहीं होता, बल्कि विधायकों और सांसदों के वोटों की वेटेज अलग-अलग होती है. यही नहीं अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोटों को भी वेटेज अलग-अलग होती है. वेटेज का निर्धारण राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था के जरिए यह वेटेज तय किया जाता है.
  6. विधायकों के मतों का वेटेज राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है. इसमें राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या की भी अहमियत होती है. वेटेज तय करने के लिए राज्य की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है. इस तरह से जो अंक निकलता है, उसे 1000 से भाग दिया जाता है. इस तरह से जो अंक हासिल होता है, वही उस राज्य के प्रत्येक विधायक के वोट का वेटेज होता है. इस दौरान अगर शेष 500 से ज्यादा रहता है तो वोटेज में 1 अंक की बढ़ोतरी हो जाती है.
  7. सांसदों के मतों के वेटेज को जानने के लिए सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों के वेटेज को जोड़ा जाता है. फिर सामूहिक वेटेज को लोकसभा के चुने हुए सांसदों व राज्यसभा सदस्यों की कुल संख्या (मनोनीत सदस्यों को छोड़कर) से भाग दिया जाता है. इस तरह से जो अंक मिलेगा, वही प्रत्येक सांसद के वोट का वेटेज होता है. इस तरह भाग देने पर अगर शेष 0.5 से ज्यादा निकलता है तो वेटेज में एक अंक की बढ़ोतरी की जाती है.
  8. लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तरह राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा मत पाने वाला विजयी नहीं होता. बल्कि राष्ट्रपति चुनाव में वही उम्मीदवार विजयी घोषित होता है, जिसे मतदाताओं यानी सांसदों व विधायकों के वोटों के कुल वेटेज के आधे से ज्यादा हिस्सा मिलता है. समझने की बात यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले प्रत्याशी को कितने वोट मिलने चाहिए.
  9. अगर आज की बात करें तो, मौजूदा दौर में राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सभी सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10 लाख, 98 हजार, 882 है. आगामी राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को जीत हासिल करने के लिए 5 लाख, 49 हजार, 442 वोटों की जरूरत होगी. जिस प्रत्याशी को सबसे पहले इतने वोट मिलेंगे, वह प्रत्याशी देश का अगला महामहिम होगा.
  10. यह भी जान लें कि अगर एक बार की गिनती में कोई प्रत्याशी स्पष्ट तौर पर जीत हासिल नहीं करता है तो पहली गिनती में सबसे कम वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार को रेस से बाहर कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में उस उम्मीदवार को पहली पसंद चुनने वाले वोटरों की दूसरी पसंद की गिनती होती है और उन्हें दूसरी पसंद के उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर किया जाता है. अगर ऐसा करने पर कोई उम्मीदवार जीत के आंकड़े तक पहुंच जाता है तो ठीक, अन्यथा दूसरे दौर में सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को भी बाहर का रास्ता दिखाकर, एक बार फिर उसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है. इस तरह वोटर का सिंगल वोट ही ट्रांसफर होता है.

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