
चाणक्य नीति: धन लाभ के लिए अपने होथो से करें ये काम, धन कुबेर बनने से कोई नहीं रोक सकता
जीवन यापन करने के लिए धन का होना बहुत जरूरी होता है, आचार्य चाणक्य ने धन को लेकर भी कई बातें बताई हैं.

जीवन यापन करने के लिए धन का होना बहुत जरूरी होता है. आचार्य चाणक्य ने धन को लेकर भी कई बातें बताई हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति को धन का संचय जरूर करना चाहिए, लेकिन कई बार व्यक्ति धन संचय नहीं कर पाता है.अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता माने गए चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ यानी ‘चाणक्य नीति’ में मनुष्य के इस दुविधा को दूर करने के लिए कुछ उपाय बताए गए है. नीतिशास्त्र के सभी अध्यायों में इस बात का ज़िक्र है कि मनुष्य को सुखी- संपन्न बने रहने के लिए क्या करना चाहिए, उन्होंने 7 वें अध्याय में एक श्लोक के जरिए बताया है कि मनुष्य को किन तीन कामों को स्वयं ही करना चाहिए जिससे जीवन में समृद्धि आए.
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1. हाथ से गूंथी हुई माला ही करें ईश्वर को अर्पित
चाणक्य कहते हैं कि अगर ईश्वर को प्रसन्न करना है तो इसके लिए कुछ यत्न करना भी जरूरी है. बाजार से खरीदी हुई माला ईश्वर को चढ़ाने से लाभ नहीं होता बल्कि समय निकालकर खुद ही सच्चे मन से ईश्वर के लिए माला गूंथना ज़्यादा फलदायी होता है, इससे घर में सुख शांति और धन संपन्नता आती है
2. भगवान के लिए चंदन अपने हाथ से घिसे
चाणक्य का कहना है कि भगवान को चढ़ाने के लिए दूसरों का घिसा हुआ चंदन न इस्तेमाल करें, यह लाभ नहीं देता. भगवान के लिए खुद ही थोड़ा मेहनत करें और अपने हाथों से चंदन घिस कर उन्हें अर्पित करें, यह शुभ होता है.
3. भगवान के लिए खुद ही लिखे स्तुति
भगवान के प्रति हर मनुष्य के भाव अलग होते हैं, दूसरे के लिखे स्तुति से आपके भाव ईश्वर तक सही तरीके से नहीं पहुंचते. इसलिए अपने आराध्य के प्रति अपने भावों को प्रकट करने के लिए खुद की ईश्वर की स्तुति लिखें और उन्हें ही ईश्वर के समक्ष पढ़ें. इससे ईश्वर प्रसन्न होते हैं और जीवन में सभी काम सही तरीके से संपन्न होते हैं.
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