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Basant Panchmi 2022: बसंत पंचमी के साथ मथुरा-वृंदावन में हो जाएगी होली की शुरुआत, भक्‍तों पर अबीर और गुलाल की होगी बारिश

Basant Panchmi 2022: उत्‍तर भारत में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्‍वती की पूजा होती है. मथुरा-वृंदावन में मां सारदे की पूजा के साथ बसंत पंचमी के दिन होली के त्‍योहार की शुरुआत हो जाती है. इस दिन भक्‍तों पर गुलाल और अबीर की बौछार की जाती है.

Published: February 4, 2022 9:51 PM IST

By Vandanaa Bharti

Basant Panchmi 2022: बसंत पंचमी के साथ मथुरा-वृंदावन में हो जाएगी होली की शुरुआत, भक्‍तों पर अबीर और गुलाल की होगी बारिश
सरस्‍वती पूजा के दिन होती है होली की शुरुआत

Basant Panchmi 2022: इस बार बसंत पंचमी 05 फरवरी 2022 को मनाई जाएगी. बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती की पूजा की जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन किसी बच्‍चे को औपचारिक रूप से अगर श‍िक्षा देने की शुरू की जाए तो वह अपने जीवन में कामयाबी प्राप्‍त करता है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार बंसत पंचमी हर साल माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. बहुत से लोग समझ लेते हैं कि बसंत पंचमी वसंत महीने में आती है, जो हिंदू कैलेंडर में छह भारतीय मौसमों में से एक है. लेकिन आपको बता दें कि वसंत पंचमी का नाम भले ही वसंत से जुडा है, लेकिन यह दिन वसंत में ही आए, यह जरूरी नहीं है. हालांकि, वर्तमान समय में, पिछले कुछ वर्षों में यह वसंत के दौरान पड़ता है. इसलिए, वसंत पंचमी के दिन को संदर्भित करने के लिए श्री पंचमी और सरस्वती पूजा अधिक उपयुक्त नाम माना जाता है. बसंत पंचमी के दिन से ही मथुरा और वृंदावन में होली की शुरुआत हो जाती है. यहां हम आपको बता रहे हैं कि कृष्‍ण और राधा की नगरी मथुरा-वृंदावन में किस तरह वसंत पंचमी मनाई जाती है और वहां के लोगों के लिये यह कितना महत्‍वपूर्ण त्‍योहार है.

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बृज में वसंत पंचमी

वसंत पंचमी के दिन मथुरा और वृंदावन के मंदिरों को पीले फूलों से सजाया जाता है. मंदिरों में भक्‍तों की भीड लगती है और मथुरा वृंदावन में इसी दिन से होली पर्व की शुरुआत हो जाती है. वसंत के आगमन को दर्शाने के लिए मूर्तियों को पीले रंग के परिधानों से सजाया जाता है.

इस दिन वृंदावन के प्रसिद्ध शाह बिहारी मंदिर में वसंती कक्ष को भक्‍तों के लिये खोल द‍िया जाता है. वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में पुजारी भक्तों पर अबीर और गुलाल फेंककर होली मनाने की शुरुआत करते हैं. जो लोग होलिका दहन पंडाल तैयार करते हैं, वे गड्ढा खोदते हैं और होली डंडा (एक लकड़ी की छड़ी) स्थापित करते हैं, जो अगले 41 दिनों में होलिका दहन अनुष्ठान के लिए बेकार लकड़ी और सूखे गाय-गोबर से भर जाता है.

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