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Ganesh Jayanti 2022: गणेश जयंती पर रखा है व्रत तो जरूर पढ़ें ये प्रचलित कथा

Ganesh Jayanti 2022: इस वर्ष गणेश जयंती 4 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है. ऐसे में जो लोग गणेश पूजन के साथ व्रत भी रख रहे हैं उन्हें इस व्रत कथा को जरूर पढ़ना चाहिए.

Updated: February 4, 2022 10:00 AM IST

By Garima Garg

सुख-समृद्धि
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Ganesh Jayanti 2022: हिंदू धर्म शास्त्रों के आधार पर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी (Shri Ganesh) का जन्म माघ शुक्ल चतुर्थी को माना जाता है. इस साल गणेश जयंती 4 फरवरी दिन शुक्रवार यानि आज मनाई जा रही है. आज ही के दिन माता पार्वती (Mata Parvati) ने आज्ञाकारी पुत्र की इच्छा हेतु श्री गणेश जी को उत्पन्न किया था. ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन लोगों को आज्ञाकारी पुत्र की इच्छा होती है उन्हें आज के दिन व्रत करना चाहिए. व्रत के साथ श्री गणेश के जन्म की कथा (Ganesh Vrat Katha) भी पढ़नी चाहिए. जानते हैं गणेश जयंती व्रत कथा…

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गणेश जयंती व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन भोलेनाथ स्नान करने भोगवती गए. तभी माता पार्वती भी स्नान करने गई. स्नान करते वक्त उन्होंने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण प्रतिष्ठा की. माता पार्वती ने इस बालक के पुतले का नाम गणेश रखा. प्राण प्रतिष्ठा के बाद माता पार्वती ने श्री गणेश को आदेश दिया कि वह द्वार पर खड़े हो जाएं और जब तक वे स्नान करके वापस ना आ जाएं तब तक किसी को अंदर प्रवेश करने की अनुमति न दें. माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश जी पहरा देने के लिए द्वार पर खड़े हो गए इसी बीच भगवान शिव कैलाश पर्वत वापस आए और माता पार्वती से मिलने के लिए उनकी तरफ निकल गए.

लेकिन द्वार पर पहरा दे रहे गणेश जी ने शिव जी को रोका. शिव जी के लाख समझाने पर भी गणेश जी ने उन को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया. समय बीतने लगा तो भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया. उसके बाद वे अंदर चले गए. लेकिन उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ और माता पार्वती यह समझ बैठी कि भगवान शिव को भूख लगी है इसीलिए वह दो थाली में भोजन परोस के शिव जी के पास ले आई. शिव जी ने खाने का निवेदन कर पूछा कि दूसरी थाली किसके लिए है तो माता पार्वती ने बताया कि दूसरी खाली मेरे पुत्र श्री गणेश की है, जो द्वार पर पहरा दे रहा है.

यह सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पूरी बात सुनाई तो माता पार्वती जोर-जोर से विलाप करने लगीं. भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ को हाथी के मस्तक के साथ जोड़ा और उन्हें दोबारा से जीवन दिया. मान्यता है कि जो स्त्री संतान प्राप्ति चाहती है वह इस व्रत कथा को करें तो लाभ प्राप्त होता है.

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Published Date: February 4, 2022 9:58 AM IST

Updated Date: February 4, 2022 10:00 AM IST