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Gupt Navratri 2020: कब से शुरू गुप्त नवरात्रि, मां काली का पूजन, तंत्र साधना से जुड़े रहस्य
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना होती है. पर इसे तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है.
Gupt Navratri 2020: मां दुर्गा के भक्तों को नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा साल में दो और नवरात्रि आती हैं. इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. ये माघ महीने के शुक्ल पक्ष में और आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आती हैं.
Gupt Navratri 2020 Date
गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी, शनिवार से आरंभ हो रही हैं. 3 फरवरी तक चलेंगी. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना होती है. पर इसे तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है. इस नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है.
मां काली की पूजा
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां काली की पूजा की जाती है. कहा गया है कि इस दौरान मां काली के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. हालांकि नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन स्वरूपों में माता काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्न मां, त्रिपुर भैरवी, धूमावति माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा होती है.
कैसे करें मां दुर्गा की उपासना
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के लिए आपको इन दिनों में मां का विशेष पूजन करना चाहिए. प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. दुर्गा चालीसा, मां दुर्गा के मंत्रों का जप करें. देवी दुर्गा के मंत्र ऊं दुं दुर्गायै नम: मंत्र की नौ माला जपें.
मां दुर्गा की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
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