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Kab Hai Aja Ekadashi 2021: जानें कब है अजा एकादशी, इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा, ये है पूजन विधि

Kab Hai Aja Ekadashi 2021: धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत का फल अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले फल से भी अधिक माना गया है.

Published: August 27, 2021 1:35 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Deepika Negi

अजा एकादशी व्रत 2022
अजा एकादशी व्रत 2022

Kab Hai Aja Ekadashi 2021:  भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2021 Date) के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत का फल अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले फल से भी अधिक माना गया है. आइए जानते हैं अजा की डेट, शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

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अजा एकादशी मुहूर्त 2021 (Aja Ekadashi 2021 Muhurat)

अजा एकादशी शुक्रवार, सितम्बर 3, 2021 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 02, 2021 को 06:21 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 03, 2021 को 07:44 ए एम बजे

एकादशी व्रत की पूजा विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi)

– एकादशी की पूजा में सुबह उठकर पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, साथ ही विष्णु भगवान का ध्यान करें.
– पूर्व दिशा की तरफ एक पटरे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें
– धूप दीप जलाएं और मिट्टी का कलश स्थापित करें, भगवान के लिए फल फूल पान सुपारी नारियल लौंग आदि अर्पण करें और स्वयं भी पीले आसन पर बैठ जाये.
– ॐ अच्युताय नमः मन्त्र का 108 बार जाप करें
–  पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय अजा एकादशी की व्रत कथा सुनें और फलाहार करें, शाम के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाएं.
– दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर तथा दक्षिणा देकर उसके बाद स्वयं खाना खाना चाहिये.

अजा एकादशी कथा (Aja Ekadashi Katha)

कुंतीपुत्र युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? व्रत करने की विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए. मधुसूदन कहने लगे कि इस एकादशी का नाम अजा है. यह सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली है. जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है. अब आप इसकी कथा सुनिए.

प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था. उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया.

वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा. मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ. कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, जिससे मेरा उद्धार हो.

इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए. एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए. राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दु:खभरी कहानी कह सुनाई. यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो.

गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएँगे. इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए. राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया. उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए.

स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुन: राज्य मिल गया. अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया.

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Published Date: August 27, 2021 1:35 PM IST